इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार और लखनऊ नगर निगम को निर्देश दिया कि वे सहारा इंडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर 30 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करें। इस याचिका में लखनऊ के गोमतीनगर स्थित 170 एकड़ में फैले सहारा शहर को सील करने के आदेश को चुनौती दी गई है।
लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की विस्तृत बहस सुनने के बाद कहा कि मामला विचारणीय है और सभी पक्षों को अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने के निर्देश दिए।
पीठ ने सहारा शहर के भीतर छोड़े गए मवेशियों के संबंध में भी निर्देश जारी किए और कहा कि उन्हें ‘कान्हा उपवन’ ले जाकर उचित देखभाल की जाए।

लखनऊ नगर निगम ने पट्टा और लाइसेंस अनुबंधों के उल्लंघन का हवाला देते हुए सहारा शहर के सभी छह प्रवेश द्वारों को सील कर दिया था। निगम ने बताया कि 1994 में किया गया लीज डीड कई शर्तों का उल्लंघन हुआ है, जिसके चलते 2020 और 2025 में नोटिस जारी किए गए थे। उचित सुनवाई का अवसर देने के बाद ही सीलिंग की कार्रवाई की गई।
इसके खिलाफ सहारा इंडिया कॉरपोरेशन ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाते हुए सीलिंग आदेश को चुनौती दी है।
सहारा पक्ष ने दलील दी कि नगर निगम द्वारा की गई कार्रवाई मनमानी और जल्दबाज़ी में की गई है। उन्होंने कहा कि:
- सहारा शहर के भीतर मौजूद संपत्तियों और कीमती वस्तुओं की कोई सूची तैयार नहीं की गई।
- खाली करने के लिए उचित नोटिस दिए बिना ही सीलिंग कर दी गई।
- मामले में कोई ऐसी आपात स्थिति नहीं थी, जिसके चलते इतनी जल्दबाज़ी में कार्रवाई की जाती।
लखनऊ नगर निगम ने कहा कि सहारा समूह ने 1994 के लीज डीड की शर्तों का उल्लंघन किया है। इस संबंध में 2020 और 2025 में नोटिस जारी किए गए और सुनवाई का पर्याप्त अवसर देने के बाद ही सीलिंग की कार्रवाई की गई।