गैरकानूनी खनन मामले में JSW Steel के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग कार्यवाही में दखल से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्टील कंपनी JSW Steel लिमिटेड और उसके अधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। यह मामला ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (OMC) से जुड़े गैरकानूनी खनन “घोटाले” से उत्पन्न हुआ है। OMC के मालिक पूर्व मंत्री जी. जनार्दन रेड्डी हैं।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस चरण में हस्तक्षेप करना उन मुद्दों पर पहले से राय बनाने जैसा होगा जो विधिक रूप से अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Tribunal) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट (ECIR) में JSW Steel या उसके अधिकारियों को आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया है। मामले में मुख्य प्रश्न यह था कि 33.80 करोड़ रुपये की वह राशि, जो एसोसिएटेड माइनिंग कंपनी (AMC) द्वारा दी गई आयरन ओरे की बकाया कीमत के रूप में थी, क्या उसे “अपराध की आय” (proceeds of crime) माना जा सकता है और क्या उसका निकासी करना अपराध की श्रेणी में आता है।

Video thumbnail

पीठ ने कहा, “यह आशंका कि पूरे खाते की शेष राशि को अपराध की आय माना जाएगा, गलत है, खासकर तब जब यह निर्विवाद है कि भुगतान नियमित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किए गए और प्राप्त किए गए हैं तथा लेखा पुस्तकों में विधिवत दर्ज हैं।”

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घरों को गिराने के लिए यूपी सरकार की आलोचना की, 25 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश दिया

पीठ ने आगे कहा कि उचित तरीका यही होगा कि वैधानिक प्रक्रिया को अपनी तार्किक परिणति तक पहुँचने दिया जाए। यह तय करना कि जब्त की गई संपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम की धारा 2(1)(u) के तहत अपराध की आय माना जा सकता है या नहीं, और क्या निकासी अवैध थी — ये सभी प्रश्न अपीलीय प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इस स्तर पर संज्ञान आदेश को रद्द करने या कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता। पीठ ने कहा, “इस समय आरोप केवल 33.80 करोड़ रुपये की वसूली तक सीमित हैं और इससे आगे अपीलकर्ताओं पर कोई आपराधिक जिम्मेदारी नहीं डाली गई है।” अदालत ने यह भी कहा कि मनमानी अभियोजन की आशंका निराधार है।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कूल सुरक्षा पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा

इसी के साथ अदालत ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया और कहा कि अपीलकर्ता अपने वैधानिक अपील के अधिकार का प्रयोग अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष कर सकते हैं, जो इस मामले का स्वतंत्र रूप से और कानून के अनुसार निर्णय करेगा।

वर्ष 2009 में JSW Steel ने OMC के साथ 15 लाख टन आयरन ओरे की आपूर्ति के लिए अनुबंध किया था, जिसे कंपनी के विजयनगर संयंत्र में भेजा जाना था। वर्ष 2013 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अवैध खनन मामले में एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें JSW का नाम सामने आया। इसके बाद ED ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जांच शुरू की।

READ ALSO  Manipur violence: SC sets up panel of 3 former women HC judges to look into relief & rehabilitation
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles