सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती के खिलाफ धोखाधड़ी के एक मामले का ट्रायल मध्य प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने का आदेश दिया। अदालत ने यह निर्णय इस दावे पर गौर करने के बाद दिया कि मुकदमे में बचाव पक्ष के गवाहों को डराने-धमकाने की कोशिश की गई थी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने भारती की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। भारती ने आरोप लगाया था कि ग्वालियर में चल रहे मामले में बचाव पक्ष के गवाहों को धमकाने की कोशिश की गई।
सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि राज्य गवाहों को पुलिस सुरक्षा देने को तैयार है, इसलिए ट्रायल को स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, पीठ ने यह कहते हुए याचिका स्वीकार कर ली कि “न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि होता हुआ दिखाई भी देना चाहिए।”

इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि prima facie (प्रथम दृष्टया) रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है जिससे यह संकेत मिलता है कि बचाव पक्ष के गवाहों को डराने की कोशिश की गई। अदालत ने टिप्पणी की थी कि इस सामग्री के आधार पर ट्रायल कोर्ट को उचित कार्रवाई करनी चाहिए थी। उसी समय सर्वोच्च न्यायालय ने ग्वालियर की अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाते हुए कहा था कि निष्पक्ष ट्रायल कराना राज्य की जिम्मेदारी है।
इसके बाद अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि गवाहों पर दबाव के आरोपों की जांच राज्य द्वारा नियुक्त अधिकारियों ने ठीक से नहीं की। अदालत ने निर्देश दिया कि बेहतर जांच की जाए और एक माह के भीतर रिपोर्ट पेश की जाए।
भारती ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व गृह मंत्री और भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा जिला लोक अभियोजक और अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक के साथ मिलकर ट्रायल को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे।
मामला एक बैंक प्रबंधक की शिकायत से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया कि भारती ने जिला सहकारी ग्रामीण बैंक में अपनी मां के नाम से एक जमा राशि रखकर धोखाधड़ी की। भारती ने इन आरोपों को खारिज किया है।