सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नगा उग्रवादी संगठन NSCN-IM की स्वयंभू “कैबिनेट मंत्री” एलेमला जमीर को आतंकी फंडिंग के एक मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एम. एम. सुन्धरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि ट्रायल चल रहा है और इस चरण पर जमानत देने का कोई औचित्य नहीं है। पीठ ने कहा, “आरोप बहुत गंभीर हैं, जो हमारी अंतरात्मा को झकझोरते हैं।”
सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालत को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा का उपयोग कर तेजी से ट्रायल चलाने का निर्देश दिया और जमीर को जांच में सहयोग करने के लिए कहा। मामले की अगली सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में होगी।

इससे पहले 13 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी जमीर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने पाया कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी अपील में कोई मेरिट नहीं है, क्योंकि आरोप गंभीर हैं, साक्ष्य पर्याप्त हैं और उनका पति फरार चल रहा है।
हाईकोर्ट ने कहा था कि ट्रायल जज मुकदमे को जल्द समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं और अभियोजन पक्ष भी तेजी से कार्रवाई कर रहा है। अदालत ने टिप्पणी की, “न्याय में जल्दबाजी न्याय की हत्या है। हम इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि ट्रायल में पेश किए जाने वाले साक्ष्य की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता।”
अदालत ने यह भी माना कि जमीर फरार होने का जोखिम रखती हैं और NSCN(IM) में ऊंचे पद पर थीं, जिससे वे गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं और साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकती हैं। आदेश में कहा गया, “तदनुसार, वर्तमान अपील खारिज की जाती है।”
17 दिसंबर 2019 को जमीर को दिल्ली एयरपोर्ट पर उस समय पकड़ा गया जब वह लगभग 72 लाख रुपये नकद के साथ दिमापुर के लिए उड़ान भरने वाली थीं। जब वे धन के स्रोत की संतोषजनक जानकारी नहीं दे पाईं तो एनआईए ने जांच शुरू की।
अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि जमीर और उनके सहयोगियों ने “नगा आर्मी” के सशस्त्र कैडरों के माध्यम से धन उगाही के लिए एक “सुव्यवस्थित नेटवर्क” तैयार किया था।
हाईकोर्ट के आदेश में दर्ज एनआईए की जांच के अनुसार, NSCN(IM) एक आतंकी संगठन है जो अत्याधुनिक हथियारों से लैस है और समानांतर सरकार चलाता है। जमीर पर आरोप है कि उन्होंने दिमापुर के व्यापारियों से बड़ी रकम उगाही कर संगठन को फंड देने के लिए एक व्यवस्थित तंत्र खड़ा किया।
उन्होंने करीब 20 बैंक खाते खोले थे, जिनमें से कुछ काल्पनिक नामों पर थे, ताकि लेन-देन का कोई रिकॉर्ड न रहे। अदालत ने कहा कि जमीर और अन्य आरोपी “गुप्त तरीके से कार्य कर रहे थे ताकि धन उगाही से संबंधित कोई साक्ष्य न छोड़ा जाए।”
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सुनवाई को तेज़ी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए अगली सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की है।