केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को सबरीमला मंदिर में द्वारपालक (गार्जियन डिटी) मूर्तियों पर चढ़ी सोने की परत के वजन में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी और न्यायमूर्ति के वी जयकुमार की खंडपीठ ने यह आदेश त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) की सतर्कता टीम द्वारा अंतरिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद पारित किया। रिपोर्ट में इस मामले की प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष दिए गए थे।
वर्ष 2019 में द्वारपालक मूर्तियों को चेन्नई की एक फर्म में इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए भेजा गया था। इस कार्य को व्यवसायी उन्नीकृष्णन पोट्टी ने प्रायोजित किया था। इलेक्ट्रोप्लेटिंग के बाद मूर्तियों पर चढ़ी सोने की परत के वजन में कमी पाई गई, जिसके बाद हाईकोर्ट ने टीडीबी सतर्कता टीम को जांच के आदेश दिए थे।

जांच के दौरान पोट्टी से दो दिनों तक पूछताछ की गई, जिसके बाद अंतरिम रिपोर्ट अदालत में दायर की गई।
एसआईटी का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक एस. ससीधरन करेंगे, जिन्होंने 2022 के एलंथूर मानव बलि कांड जैसे जटिल मामलों की जांच में अपनी दक्षता दिखाई थी। जांच की निगरानी अपराध शाखा प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एच. वेंकतेश करेंगे। साइबर पुलिस के अधिकारी भी इस टीम में शामिल किए गए हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने एसआईटी में शामिल अधिकारियों के नाम हाईकोर्ट को सुझाए थे। अदालत ने निर्देश दिया कि जांच पूरी तरह गोपनीय ढंग से की जाए और रिपोर्ट सीधे अदालत में सौंपी जाए।
पिछले सप्ताह हाईकोर्ट ने सबरीमला मंदिर की सभी संपत्तियों, जिसमें सोना भी शामिल है, की व्यापक सूची तैयार करने का आदेश दिया था। यह प्रक्रिया सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के. टी. शंकरण की देखरेख में की जा रही है।
देवस्वम मंत्री वी. एन. वासवन ने एसआईटी गठित करने के हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह जांच मंदिर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी।