सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतेनजली आंगमो द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में पिछले महीने लेह में हुई हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत की गई वांगचुक की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजरिया की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन और जोधपुर जेल प्रशासन से जवाब मांगा।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, जो आंगमो की ओर से पेश हुए, ने कहा कि यह याचिका वांगचुक की गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए दायर की गई है। उन्होंने अदालत को बताया, “हम गिरफ्तारी के खिलाफ हैं।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से पेश होकर अदालत को सूचित किया कि वांगचुक को गिरफ्तारी के आधार उपलब्ध करा दिए गए हैं।
पीठ ने आदेश दिया, “नोटिस जारी करें।”
गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि
पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक आंदोलनकारी सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। यह कार्रवाई उस समय हुई जब 24 सितंबर को लद्दाख में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों में हिंसा भड़क गई थी। इन झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग घायल हुए थे।
वांगचुक वर्तमान में राजस्थान के जोधपुर जेल में बंद हैं।
याचिका में उठाए गए मुद्दे
सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा और अधिवक्ता सर्वम ऋतम खरे के माध्यम से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में वांगचुक के खिलाफ एनएसए लगाए जाने को चुनौती दी गई है। यह कानून बिना मुकदमे के 12 महीने तक हिरासत की अनुमति देता है।
आंगमो ने याचिका में तत्काल सुनवाई की मांग की है और लद्दाख प्रशासन को निर्देश देने की गुहार लगाई है कि “सोनम वांगचुक को तुरंत अदालत के समक्ष पेश किया जाए।”
उन्होंने गिरफ्तारी आदेश को रद्द करने और वांगचुक तक तुरंत पहुंच की अनुमति देने की भी मांग की है।
इस याचिका में गृह मंत्रालय, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, लेह के उप-आयुक्त और जोधपुर जेल अधीक्षक को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि “याचिकाकर्ता को अपने पति से तुरंत टेलीफोनिक और व्यक्तिगत मुलाकात की अनुमति दी जाए।”