NIA की विशेष अदालत ने सोमवार को कोयंबटूर के दो निवासियों को प्रतिबंधित आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) की विचारधारा फैलाने और युवाओं की भर्ती करने का दोषी मानते हुए आठ साल का कठोर कारावास (RI) सुनाया।
अदालत ने मुहम्मद अज़हरुद्दीन (27), अंबु नगर, उक्काडम और शेख हिदायतुल्ला उर्फ फिरोज़ खान (35), साउथ उक्काडम को दोषी करार दिया। उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B (आपराधिक साज़िश) और गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम [UAPA] की धारा 38 (आतंकी संगठन की सदस्यता) और 39 (आतंकी संगठन का समर्थन) के तहत सजा सुनाई गई। अदालत ने आदेश दिया कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
यह मामला 2019 में दर्ज किया गया था जब खुफिया जानकारी मिली कि अज़हरुद्दीन और उसके सहयोगी ISIS की विचारधारा फैला रहे हैं और दक्षिण भारत, खासकर केरल और तमिलनाडु में आतंकवादी हमलों के लिए असुरक्षित युवाओं की भर्ती कर रहे हैं।

जांच श्रीलंका में अप्रैल 2019 के ईस्टर आतंकी हमले के बाद तेज हुई, जिसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। NIA की जांच में सामने आया कि आरोपी अनवर-अल-अवलाकी, अबू बरा, मूसा सेरेंटोनियो और श्रीलंकाई ISIS नेता ज़हरान हाशिम जैसे कट्टरपंथी प्रचारकों के भाषण देखते और फैलाते थे।
डिजिटल फॉरेंसिक जांच में आरोपियों के उपकरणों और सोशल मीडिया खातों से ज़हरान हाशिम से जुड़े भाषण और सामग्री बरामद हुई। 2017 से मार्च 2019 तक उन्होंने केरल में कई जगहों की यात्राएं कीं और अपने साथियों से मुलाकात कर ISIS को समर्थन दिया।
दोनों आरोपी 2022 के कोयंबटूर ब्लास्ट केस के भी अभियुक्त हैं। यह विस्फोट उक्काडम स्थित मंदिर के पास हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और जिसकी जांच आतंकवादी साजिश से जुड़ी बताई गई।
NIA विशेष अदालत ने दोनों को आठ साल का कठोर कारावास सुनाया और कहा कि उनकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा थीं। हालांकि, सभी सजाएं एक साथ चलने के कारण उनकी कुल सजा आठ साल ही रहेगी।