नशे में गाड़ी चलाना ‘गंभीर खतरा’, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रक चालक की जमानत याचिका खारिज की


पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नशे में गाड़ी चलाने को समाज की व्यवस्था की जड़ों पर चोट करने वाला “गंभीर खतरा” करार दिया है और कहा है कि ऐसे मामलों में किसी भी तरह की नरमी गलत संदेश देगी और दूसरों को भी खतरनाक आचरण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। न्यायमूर्ति सुमीत गोयल ने यह टिप्पणी उस समय की जब उन्होंने 70 वर्षीय ट्रक चालक की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर पटियाला में एक एमबीबीएस छात्र की मौत का आरोप है।

जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि नशे में गाड़ी चलाना महज लापरवाही या शरारत नहीं है।

“जो व्यक्ति शराब के नशे में वाहन चलाने का विकल्प चुनता है, वह न केवल अपनी जान खतरे में डालता है बल्कि निर्दोष नागरिकों के जीवन को भी जोखिम में डालता है… यह सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था की मूल संरचना को कमजोर करता है।”

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अदालत ने कहा कि कानून ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटने की मांग करता है, और यदि किसी तरह की नरमी दिखाई गई तो यह “गलत संदेश देगा और दूसरों को भी खतरनाक आचरण अपनाने के लिए उकसाएगा।”

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यह मामला नवंबर 2023 की उस घटना से जुड़ा है जब आरोपी जगतार सिंह ने कथित तौर पर संगरूर-पटियाला रोड पर नशे की हालत में ट्रक चलाते हुए एक खड़ी कार में टक्कर मार दी थी। हादसे में शिकायतकर्ता का 24 वर्षीय पुत्र, जो एमबीबीएस का छात्र था, मौके पर ही मारा गया।

पसियाना थाने में भारतीय दंड संहिता और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अभियोजन पक्ष ने सिंह पर आईपीसी की धारा 304 के तहत आरोप लगाया है और कहा है कि यह महज लापरवाही नहीं बल्कि अपराधपूर्ण आचरण है।

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सिंह के वकील ने दलील दी कि आरोपी एक वर्ष से अधिक समय से हिरासत में है और एफआईआर में यह नहीं बताया गया कि उसने कार को जानबूझकर क्यों मारा। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी की उम्र लगभग 70 वर्ष है।

वहीं राज्य की ओर से जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि आरोप बेहद गंभीर हैं और आरोपी यदि बाहर आया तो गवाहों को प्रभावित या धमका सकता है। अदालत ने माना कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है लेकिन 15 गवाह अभी शेष हैं और गवाहों को डराने की आशंका “नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती।”

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न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि गंभीर आरोपों और नशे में गाड़ी चलाने से सार्वजनिक सुरक्षा को होने वाले खतरे को देखते हुए आरोपी ट्रक चालक को नियमित जमानत का लाभ देने का कोई आधार नहीं है।

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