सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया कि शीर्ष माओवादी कमांडर कथा रामचंद्र रेड्डी के शव को संरक्षित रखा जाए और उसे दफनाया या दाह संस्कार न किया जाए, जब तक कि राज्य हाईकोर्ट इस संबंध में दायर याचिका पर फैसला नहीं कर देता।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए. जी. मसीह की पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि हाईकोर्ट दशहरा अवकाश के बाद इस मामले की सुनवाई शीघ्र करे। यह याचिका रेड्डी के बेटे राजा चंद्रा ने दाखिल की है, जिन्होंने आरोप लगाया कि उनके पिता को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित कर हत्या कर दी गई और अब पुलिस शव को जल्द निस्तारित करना चाहती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस, याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए, ने कहा कि यह पूरी तरह से एक फर्जी मुठभेड़ है और इसे छुपाने के लिए पुलिस शव को जल्द से जल्द निपटाना चाहती है। याचिका में नई पोस्टमॉर्टम जांच कराने और सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकारी शामिल न हों।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, राज्य पुलिस की ओर से पेश होते हुए, ने आरोपों को खारिज किया और कहा कि रेड्डी समेत दो माओवादी नेताओं को 22 सितंबर को नारायणपुर जिले के अबुझमाड़ जंगलों में हुई मुठभेड़ में मार गिराया गया। उन्होंने बताया कि रेड्डी पर सात राज्यों द्वारा कुल 7 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।
मेहता ने अदालत को बताया कि पोस्टमॉर्टम की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी, इसलिए पुलिस पर किसी भी प्रकार की दुर्भावना का आरोप नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि उसी मुठभेड़ में मारे गए दूसरे माओवादी नेता कदारी सत्यनारायण रेड्डी का शव परिवार को सौंपकर अंतिम संस्कार किया जा चुका है।
पुलिस के अनुसार, रामचंद्र रेड्डी (63) और सत्यनारायण रेड्डी (67) दोनों भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति के सदस्य थे और तीन दशकों से अधिक समय से दंडकारण्य विशेष जोनल कमेटी के माध्यम से बस्तर क्षेत्र में सक्रिय थे। उन पर सुरक्षा बलों और नागरिकों पर कई हिंसक हमलों की साजिश रचने का आरोप था।
22 सितंबर को मुठभेड़ तब शुरू हुई जब सुरक्षा बलों को क्षेत्र में वरिष्ठ माओवादी कैडरों की आवाजाही की खुफिया जानकारी मिली। पुलिस ने बताया कि घटनास्थल से एके-47 रायफल, इंसास रायफल, बैरल ग्रेनेड लॉन्चर, बड़ी मात्रा में विस्फोटक, माओवादी साहित्य और अन्य सामग्री बरामद की गई।
छत्तीसगढ़ में इस वर्ष अब तक सुरक्षा बलों ने 249 नक्सलियों को ढेर किया है, जिनमें से 220 बस्तर संभाग में मारे गए। इनमें सबसे अहम कार्रवाई नंबाला केसव राव उर्फ बसवराजु (70), भाकपा (माओवादी) के महासचिव, और केंद्रीय समिति के पांच अन्य सदस्यों के मारे जाने की रही है।
अब यह मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है, जो तय करेगा कि क्या कथित फर्जी मुठभेड़ की स्वतंत्र जांच कराई जाए।