इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिया समुदाय से संबंधित तीन आरोपितों के खिलाफ दर्ज ट्रिपल तलाक मामले की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है और शिकायतकर्ता पत्नी को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि यह मामला गंभीर विचारणीय है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने शाहिद रज़ा व अन्य दो की याचिका पर पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने 22 जून 2024 की चार्जशीट और 10 जुलाई 2025 को पारित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समन आदेश को रद्द करने की मांग की थी।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि आरोपित शिया संप्रदाय से हैं, जिसमें ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की मान्यता नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 2(ग) में ट्रिपल तलाक परिभाषित है, परंतु यह प्रथा केवल सुन्नी समुदाय में ही मानी जाती है।

एफआईआर के अनुसार, शाहिद रज़ा ने अपनी पत्नी (विपक्षी पक्ष संख्या 2) को ट्रिपल तलाक दिया था। अधिवक्ता का कहना था कि शिया संप्रदाय ट्रिपल तलाक को मान्यता नहीं देता, इसलिए इस अधिनियम के तहत आरोप कायम नहीं हो सकते।
अदालत ने अपने 18 सितम्बर के आदेश में कहा:
“मामला विचारणीय है। विपक्षी पक्ष संख्या 2 को नोटिस जारी किया जाए और यह मामला 12 दिसम्बर 2025 को सूचीबद्ध किया जाए। विपक्षीगण तीन सप्ताह में प्रतिजवाबी हलफ़नामा दाखिल कर सकते हैं। अगली तारीख तक आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही स्थगित रहेगी।”
इस मामले में 2024 में जनपद अमरोहा के नौगांव सादात थाने में भारतीय दंड संहिता की धाराओं तथा मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
अब मामला 12 दिसम्बर 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगा, जब शिकायतकर्ता का पक्ष दर्ज किया जाएगा। तब तक ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही स्थगित रहेगी।