इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्राणीशास्त्र विभाग के प्रोफेसर शैल कुमार चौबे के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद को निर्देश दिया है कि वह दो सप्ताह के भीतर मामले की पूरी फाइल अपने समक्ष रखकर सुनवाई के बाद तर्कसंगत आदेश पारित करे।
न्यायमूर्ति सी.डी. सिंह ने यह आदेश प्रोफेसर चौबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। अदालत ने कहा कि कार्यकारी परिषद को सभी दस्तावेजों की समीक्षा कर उचित निर्णय लेना होगा और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देना होगा।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि हाईकोर्ट की एक खंडपीठ पहले ही प्रोफेसर चौबे की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को निरस्त कर चुकी है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने उन्हें निलंबित कर दिया।

विश्वविद्यालय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने कहा कि कार्यकारी परिषद का गठन हो चुका है और पूरा मामला उसके समक्ष विचारार्थ रखा जाएगा। याचिकाकर्ता ने यह भी प्रार्थना की कि परिषद 2024 के विशेष अपील “बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बनाम शैल कुमार चौबे” में की गई टिप्पणियों को भी ध्यान में रखकर निर्णय ले।
अदालत ने कहा, “26 जून 2025 को रजिस्ट्रार द्वारा कुलपति की स्वीकृति से पारित आदेश को, याचिकाकर्ता के निलंबन तक की सीमा में, निरस्त किया जाता है।”
प्रोफेसर चौबे पर छात्रों के प्रति “अशोभनीय” टिप्पणियां करने का आरोप लगा था। इस पर 2018 में बीएचयू की आंतरिक शिकायत समिति ने जांच की और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की, जिसके आधार पर विश्वविद्यालय ने उन्हें निलंबित कर दिया था।
अदालत ने स्पष्ट किया कि कार्यकारी परिषद को याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देने के बाद शीघ्र और कारणयुक्त आदेश पारित करना होगा। यह आदेश 16 सितम्बर को पारित किया गया था और 24 सितम्बर को सार्वजनिक हुआ।