दिल्ली हाईकोर्ट ने पालतू जानवर को लेकर हुए विवाद के बाद दो पड़ोसियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए शर्त रखी है कि दोनों पक्ष बच्चों को पिज्जा और मट्ठा परोसेंगे। यह सेवा उन्हें जीटीबी नगर स्थित सरकारी बालगृह संस्कार आश्रम में करनी होगी।
न्यायमूर्ति अरुण मोंगा ने 19 अगस्त को पारित आदेश में कहा कि यह विवाद निजी प्रकृति का था और आपराधिक मामले को जारी रखना किसी उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा। अदालत ने कहा कि एफआईआर को रद्द करना “पड़ोसियों के बीच सौहार्द और सद्भाव बढ़ाएगा” जबकि इसे जारी रखना केवल वैमनस्य को फिर से भड़काएगा।
यह घटना 5 मई की है, जब पालतू जानवरों को संभालने को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच झगड़ा हो गया। इसके बाद मानसरोवर पार्क थाने में एक-दूसरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई, जिनमें आपराधिक धमकी, गंभीर चोट पहुँचाने और गलत तरीके से रोकने जैसी धाराएँ शामिल की गई थीं।

दोनों पक्ष अदालत में स्वयं उपस्थित हुए और अपने-अपने वकीलों के माध्यम से बताया कि वे आपसी सहमति से विवाद सुलझा चुके हैं और अब मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते। अदालत को यह भी बताया गया कि विवाद गंभीर गलतफहमी की वजह से खड़ा हुआ था।
सुनवाई के दौरान अदालत को यह जानकारी दी गई कि शिकायतकर्ताओं में से एक पिज्जा बनाने और बेचने का व्यवसाय करता है। इसे देखते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि दोनों पक्ष मिलकर संस्कार आश्रम में बच्चों और स्टाफ को पिज्जा और मट्ठा खिलाएँ।
अदालत ने कहा, “ऐसे हालात में आपराधिक कार्यवाही को जारी रखना किसी उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा, बल्कि यह विधि की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। एफआईआर रद्द करने से पड़ोसियों के बीच सौहार्द और सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा।”