सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट और एमसीडी अपीलीय अधिकरण द्वारा चांदनी चौक क्षेत्र में अवैध निर्माणों की तोड़फोड़ पर लगाई गई सभी रोकें 31 दिसंबर 2025 से स्वतः समाप्त हो जाएंगी।
न्यायमूर्ति सूर्या कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि किसी पक्ष को आपत्ति है तो वह 31 दिसंबर से पहले सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। पीठ ने कहा, “दिल्ली हाईकोर्ट और एमसीडी अपीलीय अधिकरण द्वारा दिए गए सभी स्थगन आदेश 31 दिसंबर 2025 से प्रभावहीन हो जाएंगे।”
शीर्ष अदालत ने एमसीडी अधिकारियों को आदेश दिया कि 31 दिसंबर के बाद अवैध निर्माणों को हटाने और तोड़फोड़ की कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया गया कि वह नगर निगम को इस अभियान में लॉजिस्टिक सहयोग प्रदान करें।

पीठ को बताया गया कि एमसीडी अपीलीय अधिकरण के अध्यक्ष का पद लंबे समय से खाली है। इस पर अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय से मामले को देखने का अनुरोध किया।
अदालत को एमसीडी की ओर से बताया गया कि बड़ी संख्या में स्थगन आदेशों के कारण कार्रवाई बाधित हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह केवल उन मामलों पर विचार कर रही है, जिनमें भूमि उपयोग परिवर्तन यानी आवासीय परिसरों को व्यावसायिक उद्देश्यों में बदलने का अवैध कार्य हुआ है।
यह पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सख्ती दिखाई है।
- 18 जुलाई को अदालत ने चांदनी चौक में जारी अवैध निर्माण पर कड़ी नाराज़गी जताई थी और कहा था कि पुलिस को किसी को भी “एक ईंट रखते हुए” गिरफ्तार करना चाहिए।
- 23 मई को अदालत ने पुलिस आयुक्त को आदेश दिया था कि फ़तेहपुरी क्षेत्र में अवैध निर्माण रोकने के लिए विशेष टीम तैनात करें, क्योंकि अदालत के प्रतिबंध आदेश के बावजूद निर्माण जारी था।
यह कार्यवाही एक स्व-प्रत्यर्थी याचिकाकर्ता की याचिका पर चल रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से चांदनी चौक क्षेत्र में अवैध निर्माण जारी है, जबकि अदालत पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है।
मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।