कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी की हत्या के दोषी स्वयंभू ‘गुरुदेव’ की फांसी की सजा को उम्रकैद (बिना रिहाई) में बदल दिया है। दोषी सुनील दास उर्फ़ “गुरुदेव” को अगस्त 2023 में बीरभूम ज़िले की रामपुरहाट सत्र अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
दास ने पीड़ित परिवार से उनकी 17 वर्षीय बेटी के जलने से हुए घावों को ठीक करने के नाम पर एक लाख रुपये से अधिक ठग लिए थे। नवंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच उसने 83,000 रुपये वसूले और यज्ञ व दवाइयों के नाम पर और पैसों की मांग की।
17 मई 2020 को दास कथित तौर पर एक ‘प्रसाद’ के रूप में काजू का पेस्ट लाया, जिसमें उसने तेज़ नशीला पदार्थ मिला दिया था। प्रसाद खाने के बाद महिला और उसकी बेटी बेहोश हो गईं और बाद में मृत पाई गईं। पीड़िता का पति मिलन मंडल, जिसने सबसे पहले इलाज के दौरान ट्रेन यात्रा में दास से परिचय किया था, शुरू में संदेह के घेरे में आया लेकिन जांच में दास की संलिप्तता सामने आई।

ट्रायल कोर्ट का फैसला
रामपुरहाट सत्र अदालत ने दास को बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने का दोषी ठहराया था। उसे दोहरे हत्याकांड के लिए फांसी, बलात्कार के लिए उम्रकैद और सबूत मिटाने के लिए सात साल की सज़ा सुनाई गई थी।
हाईकोर्ट का आदेश
जस्टिस देबांगसु बसाक और मोहम्मद शब्बार राशिदी की खंडपीठ ने हत्या और सबूत मिटाने की सजा को बरकरार रखा लेकिन दास को बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया।
अपने आदेश में पीठ ने कहा कि 45 वर्षीय दास “गुरुबाबा के रूप में लोगों को झूठे वादों के जरिए बीमारियां ठीक करने या लाभ दिलाने के नाम पर पैसे ऐंठने का आदी रहा है।” अदालत ने माना कि अपराध जघन्य था लेकिन ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में नहीं आता, इसलिए मौत की सज़ा उचित नहीं है।
“समाज को लंबे समय तक ऐसे व्यक्ति से सुरक्षित रखने की आवश्यकता है,” अदालत ने कहा और आदेश दिया कि उम्रकैद का अर्थ होगा — गिरफ्तारी की तारीख से 40 वर्ष तक बिना किसी रिहाई के कारावास।
मंडल की गवाही को दो पड़ोसियों ने पुष्ट किया। घटनास्थल पर अपराध का पुनर्निर्माण दास ने स्वयं किया था, जिसे वीडियोग्राफ़ किया गया और अदालत में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया गया। घटना के दो महीने बाद दास को गिरफ्तार किया गया।
अदालत ने यह भी माना कि दास गरीब पृष्ठभूमि से है और उसकी पत्नी व दो बच्चे हैं, लेकिन समाज को उसकी धोखाधड़ी और अपराधों से बचाना ज़्यादा आवश्यक है।
अब दास को 40 साल तक जेल में रहना होगा और उसके पहले किसी भी प्रकार की रिहाई संभव नहीं होगी।