सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कर्नाटक सरकार द्वारा इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बनु मुश्ताक को इस वर्ष के मैसूरु दशहरा का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता एच. एस. गौरव द्वारा दायर अपील को अस्वीकार कर दिया। गौरव ने कर्नाटक हाई कोर्ट के 15 सितंबर के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने पहले ही इस संबंध में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। राज्य का प्रसिद्ध दशहरा उत्सव 22 सितंबर से शुरू होगा।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि दशहरा उद्घाटन के समय मैसूरु स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर में होने वाले अनुष्ठान केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं, बल्कि अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित आवश्यक धार्मिक प्रथा हैं। इन अनुष्ठानों में देवी चामुंडेश्वरी के गर्भगृह के सामने दीप प्रज्वलन, कुमकुम, हल्दी, फल और फूल चढ़ाना शामिल है, जिन्हें आगमिक परंपराओं के अंतर्गत माना जाता है।

याचिका में कहा गया कि इन धार्मिक कृत्यों को किसी गैर-हिंदू द्वारा करना परंपरा और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। हालांकि, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने इस तर्क को खारिज करते हुए सरकार के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया।