केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि क्या अरुंधति रॉय की नई किताब “मदर मैरी कम टू मी” के कवर पेज पर उनके सिगरेट पीते हुए चित्र को लेकर कोई एजेंसी या व्यवस्था है जो इस तरह के मामलों पर कार्रवाई कर सके।
मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति बसंत बालाजी की पीठ ने यह निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर के लिए सूचीबद्ध की।
यह जनहित याचिका (PIL) कोच्चि के वकील राजसीमन ने दायर की है। उन्होंने दलील दी कि किताब का कवर समाज, विशेषकर लड़कियों और महिलाओं को “हानिकारक संदेश” देता है क्योंकि इसमें धूम्रपान को “महिमामंडित” किया गया है। याचिका में कहा गया है कि एक प्रसिद्ध लेखक का इस तरह का चित्रण युवाओं के बीच यह गलत धारणा पैदा करता है कि धूम्रपान बौद्धिक रचनात्मकता को बढ़ाता है।

“कवर इमेज यह गलत संदेश देती है कि धूम्रपान फैशनेबल है, बौद्धिक रूप से प्रेरक है और रचनात्मकता से जुड़ा हुआ है,” याचिका में कहा गया।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि यह चित्र सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन पर प्रतिबंध और व्यापार, उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 (COTPA) का उल्लंघन है। इस अधिनियम के तहत बिना अनिवार्य स्वास्थ्य चेतावनी के तंबाकू उत्पादों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन प्रतिबंधित है।
याचिका में किताब की मौजूदा कवर फोटो के साथ बिक्री, वितरण और प्रदर्शन पर रोक लगाने और बाज़ार से उसकी सभी प्रतियों को वापस लेने की मांग की गई है। साथ ही यह घोषणा भी मांगी गई है कि बिना स्वास्थ्य चेतावनी के किताब का प्रकाशन “गैरकानूनी” और COTPA का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनकी आपत्ति केवल कवर इमेज को लेकर है, किताब की सामग्री को लेकर नहीं।