सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उन याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया जिनमें केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को 20 सितंबर को पंपा नदी के तट पर अयप्पा भक्तों का वैश्विक सम्मेलन आयोजित करने की अनुमति दी थी।
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस ए.एस. चंदुरकर की पीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि हाईकोर्ट के 11 सितंबर के आदेश में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सबरीमला की पवित्रता और पंपा नदी के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए कई निर्देश जारी किए थे।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि वैश्विक अयप्पा संगम आयोजित किया जा सकता है, लेकिन त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि पंपा नदी के तट पर कोई स्थायी या अस्थायी संरचना खड़ी न की जाए जो उसकी पवित्रता को प्रभावित करे। साथ ही, संगम के दौरान सबरीमला मंदिर से जुड़े किसी भी अनुष्ठान या पूजा में बाधा न आए।

अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि कार्यक्रम के दौरान किसी भी प्रकार की प्लास्टिक बोतल, कप या अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री का इस्तेमाल न हो और यदि कोई कचरा उत्पन्न हो तो तुरंत साफ किया जाए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री और विदेशी प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति आम श्रद्धालुओं की सुविधाओं या आध्यात्मिक अनुभव को प्रभावित नहीं करनी चाहिए। सभी प्रतिभागियों को केवल भगवान अयप्पा के भक्त के रूप में ही माना जाएगा और किसी को भी विशेष लाभ या प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि यह कार्यक्रम दरअसल राजनीतिक है और सरकार की पहल पर आयोजित किया जा रहा है। उनके अनुसार, बोर्ड को केवल धार्मिक रंग देने के लिए शामिल किया गया है।
वहीं, त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने इस आयोजन का बचाव करते हुए कहा कि वैश्विक अयप्पा संगम एक अनूठा आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और विकासात्मक सम्मेलन है, जो केरल सरकार के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। बोर्ड ने आश्वासन दिया कि इस आयोजन से सबरीमला की परंपराओं और आस्थाओं पर कोई आंच नहीं आएगी।
सुप्रीम कोर्ट के इनकार के बाद अब यह वैश्विक संगम हाईकोर्ट की शर्तों और निगरानी के तहत 20 सितंबर को पंपा नदी के तट पर आयोजित होगा।