वकीलों पर हमले का मामला: पटना हाईकोर्ट के वकीलों ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट का अनिश्चितकालीन बहिष्कार करने का किया ऐलान

पटना हाईकोर्ट की तीन प्रमुख बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर 18 सितंबर, 2025 की सुबह से माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (Acting Chief Justice) की अदालत का “अनिश्चित काल के लिए बहिष्कार” करने की घोषणा की है। यह कठोर निर्णय दो युवा वकीलों पर हुए हिंसक हमले के मामले की सुनवाई को लेकर उपजे असंतोष के बाद लिया गया है।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब दो युवा वकील, अंशुल आर्यन और उनकी पत्नी मानोग्या सिंह, हाईकोर्ट जाते समय एक दिल्ली पब्लिक स्कूल के कर्मचारियों, सुरक्षा अधिकारी, बस चालक और कंडक्टर द्वारा कथित रूप से हमले का शिकार हुए। प्रस्ताव के अनुसार, इस हमले में श्री आर्यन को चोटें आईं, जबकि सुश्री सिंह के साथ “अभद्र भाषा और डराने-धमकाने वाले यौन हाव-भाव” का प्रयोग किया गया और उनका मोबाइल छीनकर तोड़ दिया गया।

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इस मामले को 9 सितंबर, 2025 को पटना हाईकोर्ट की एक आपराधिक खंडपीठ के समक्ष रखा गया। पीठ ने हमले का स्वतः संज्ञान (suo moto cognizance) लेते हुए रूपसपुर पुलिस स्टेशन के एस.एच.ओ. को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, अदालत ने रजिस्ट्री को “वकील पर हमले के मामले में” शीर्षक से एक स्वतः संज्ञान आपराधिक रिट याचिका दर्ज करने का भी आदेश दिया।

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हालांकि, जब यह मामला अगले दिन, 10 सितंबर, 2025 को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध हुआ, तो कार्यवाही की दिशा बदल गई। इस पीठ ने एक नया कानूनी सवाल तय किया कि “क्या इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया जा सकता है और क्या इसके लिए प्रशासनिक पक्ष पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की औपचारिक मंजूरी लेना सही है या नहीं।” इसके अलावा, इस पीठ ने एस.एच.ओ. की व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश को भी रद्द कर दिया, जो एक दिन पहले ही एक समन्वय खंडपीठ द्वारा पारित किया गया था।

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17 सितंबर, 2025 को सुनवाई के दौरान, बार के कई वरिष्ठ सदस्यों और समन्वय समिति के प्रतिनिधियों ने 10 सितंबर के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया। उनकी दलील थी कि “एक समन्वय पीठ के आदेश में दूसरी समन्वय पीठ द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है और इससे पटना हाईकोर्ट की छवि पर बुरा असर पड़ रहा है।”

प्रस्ताव में बार की इस भावना को व्यक्त किया गया है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ “दो वकीलों पर हमले के मूल मुद्दे के प्रति संवेदनशील नहीं थी।” इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि अदालत “हमले के वास्तविक मुद्दे को किसी तरह से लंबा खींचने और मामले को निष्प्रभावी करने की कोशिश कर रही थी,” और यह भी संकेत दिया गया कि स्कूल प्रबंधन की “सत्ता के गलियारों में गहरी पैठ” है।

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बार के सदस्यों के “गुस्से और भावनाओं” का हवाला देते हुए, एडवोकेट एसोसिएशन, लॉयर्स एसोसिएशन और बार एसोसिएशन के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और सचिवों वाली समन्वय समिति ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अदालत का अनिश्चित काल के लिए बहिष्कार करने का संकल्प लिया। इस प्रस्ताव की सूचना आवश्यक कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार जनरल को दे दी गई है।

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