सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों को तीन हफ्तों में कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आयोग बाय एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया कि वे तीन हफ्तों के भीतर वायु प्रदूषण पर काबू पाने के उपायों की कार्ययोजना तैयार करें। अदालत ने यह आदेश सर्दियों के आगमन से पहले दिया है, जब वायु प्रदूषण का स्तर आमतौर पर चरम पर पहुंच जाता है।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। यह मामला स्वतः संज्ञान (suo motu) पर लंबित है और अदालत ने कहा कि वह अनुपालन की समीक्षा 8 अक्टूबर को करेगी।

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पीठ ने राज्यों की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पड़े पद समय पर नहीं भरे जाने से प्रदूषण नियंत्रण की क्षमता प्रभावित होती है। अदालत ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों को आदेश दिया कि वे तीन महीनों के भीतर अपने-अपने बोर्डों में रिक्तियां भरें।

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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि CAQM, CPCB और राज्य बोर्डों में पदोन्नति से जुड़े पदों को भरने के लिए छह महीने का समय दिया जाएगा। अदालत ने टिप्पणी की कि पर्यावरणीय एजेंसियों में स्टाफ की कमी प्रदूषण की गंभीर स्थिति में और अधिक संकट पैदा करती है।

CAQM केंद्र सरकार द्वारा गठित एक वैधानिक निकाय है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और उससे सटे राज्यों — पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान — में वायु गुणवत्ता की निगरानी और सुधार करना है। इसका काम विभिन्न राज्यों के बीच समन्वय बनाकर प्रदूषण के गंभीर हालात से निपटना है।

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अदालत की यह सख्ती ऐसे समय में आई है जब अक्टूबर और नवंबर में उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर पराली जलाने, वाहनों से उत्सर्जन और प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों के कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है। अदालत ने जोर देकर कहा कि इस बार सर्दियों से पहले ही ठोस रोकथाम उपाय लागू किए जाने चाहिए, ताकि प्रदूषण का संकट दोहराया न जाए।

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