पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को फटकार लगाई और पूछा कि उस वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों की गई जिसने हाईकोर्ट परिसर में ढाबों और खोखों द्वारा किए जा रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मुद्दे को उजागर करने वाली जनहित याचिका (PIL) दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, “यहां दुराचार कहां है? यह (अनुशासनात्मक कार्रवाई) न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप है। यह वस्तुतः दखल देने जैसा है।”
वकील पृथ्वी यादव ने 2023 में यह PIL दायर की थी, जिसमें हाईकोर्ट परिसर में ढाबों और खोखों द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण और अवैध निर्माण का मुद्दा उठाया गया था। याचिका पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन बाद में बार बॉडी की चुनौती पर अदालत ने इस पर रोक लगा दी और सभी पक्षों से सुझाव मांगे।
इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने बार एसोसिएशन को यूटी प्रशासन की ग्रीन बेल्ट पर अवैध रूप से बनाए गए पार्किंग स्थल पर शुल्क वसूली से भी रोका था।
बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि यादव द्वारा PIL दायर करना “दुराचार” है और इसके लिए तीन सदस्यीय अनुशासन समिति गठित की गई। यादव ने इस निर्णय को अदालत में चुनौती दी और दलील दी कि जनहित याचिका दायर करना किसी भी प्रकार से पेशेवर दुराचार नहीं हो सकता।
अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बार बॉडी से जवाब मांगा और निर्देश दिया कि यादव के खिलाफ किसी भी तरह की दबावपूर्ण कार्रवाई नहीं की जाएगी।
हाईकोर्ट में जगह की कमी और यातायात अव्यवस्था लंबे समय से चिंता का विषय हैं। अदालत इस मुद्दे पर पहले से ही विचार कर रही है, जहां बार एसोसिएशन और कर्मचारियों के संगठन ने अदालत के ढांचागत विकास की समग्र योजना लागू करने की मांग की है। विचाराधीन विकल्पों में मौजूदा स्थल पर विस्तार करना या हाईकोर्ट को सरंगपुर स्थानांतरित करना शामिल है।

                                    
 
        


