सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान की जोजरी नदी में औद्योगिक कचरे के अवैध रूप से छोड़े जाने पर स्वतः संज्ञान लिया और कहा कि प्रदूषण के कारण सैकड़ों गाँवों में पेयजल मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए अनुपयोगी हो गया है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि कपड़ा उद्योग और टाइल कारखानों से निकलने वाला रासायनिक अपशिष्ट सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर असर पड़ा है।
पीठ ने कहा, “यह अदालत राजस्थान की मरुधरा जोजरी नदी के संबंध में स्वतः संज्ञान ले रही है, जहाँ कपड़ा और टाइल फैक्ट्रियों से भारी मात्रा में औद्योगिक कचरा छोड़ा जा रहा है, जिससे सैकड़ों गाँव प्रभावित हैं और मनुष्यों व पशुओं के लिए पेयजल अनुपयुक्त हो गया है।”

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रदूषण के कारण क्षेत्र के निवासियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और पर्यावरणीय संतुलन भी बिगड़ रहा है।
पीठ ने निर्देश दिया कि मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए ताकि उचित आदेश पारित कर आगे की कार्रवाई की जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में औद्योगिक प्रदूषण और स्वच्छ जल के अधिकार को लेकर गंभीर चिंता को दर्शाता है।