सुप्रीम कोर्ट ने रूसी महिला की फरारी मामले में जांच के आदेश दिए, राजनयिक की भूमिका पर उठे सवाल

 सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रूसी नागरिक विक्टोरिया बसु और उसके बच्चे के देश से फरार होने की साजिश पर “गहन जांच” के आदेश दिए। दिल्ली पुलिस ने पहली बार अदालत को बताया कि इस फरारी में दिल्ली स्थित एक वरिष्ठ रूसी राजनयिक की प्रत्यक्ष भूमिका रही, जिसने उसके भागने की व्यवस्था कराई।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने रूसी दूतावास के अधिकारियों से पूछताछ तक नहीं की।
पीठ ने कहा, “यह अदालत के आदेश का खुलेआम उल्लंघन है और इसमें रूसी दूतावास के अधिकारियों समेत कई व्यक्तियों की मिलीभगत सामने आई है।”

अदालत ने यह भी कहा कि “बच्चे को सुप्रीम कोर्ट की अभिरक्षा से छीन लिया गया है” और संस्थान की गरिमा बनाए रखने पर जोर दिया।

पुलिस की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार रूसी दूतावास के काउंसलर हेड आर्थर गर्ब्स्ट ने भारतीय व्यापारी विवान सहगल से जुलाई में बसु के लिए टैक्सी बुक करने को कहा। सहगल ने बताया कि उसने उत्तर प्रदेश और बाद में बिहार तक की टैक्सी के इंतज़ाम किए और गर्ब्स्ट ने उसे चालक को देने के लिए ₹75,000 नकद भी सौंपे।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को वोट देने के अधिकार से वंचित करने के प्राविधान को चुनौती देने वाली जनहित याचिका में नोटिस जारी किया

जांच से खुलासा हुआ कि बसु 7 जुलाई को दिल्ली से निकली, 12 जुलाई को नेपाल पहुँची, वहाँ से शारजाह और फिर रूस चली गई।

बसु के भारतीय पति ने सीलबंद लिफाफे में अतिरिक्त दस्तावेज़ दाखिल कर दावा किया कि रूसी राजनयिकों ने न केवल मदद की बल्कि उसके टिकटों की खरीद के लिए वित्तीय सहयोग भी दिया।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि दिल्ली पुलिस और विदेश मंत्रालय (MEA) दोनों मिलकर बसु और बच्चे का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। अदालत के पहले के निर्देश पर MEA ने म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी (MLAT) के तहत रूस से संपर्क कर उनके ठिकाने की जानकारी मांगी और गर्ब्स्ट की भूमिका की जांच करने का अनुरोध भी किया है।

READ ALSO  SC Refuses To Pass Order Allotting A Deceased Lawyer’s Chamber To His Daughter Who Is Studying Law

अदालत ने हालांकि कहा कि विदेशी अधिकारियों को सीधे निर्देश नहीं दिए जा सकते और यह मामला कूटनीतिक माध्यमों से ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

दिल्ली पुलिस ने बताया कि वह बसु के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कराने की प्रक्रिया में है। अदालत ने चिंता जताई कि बच्चे का भारतीय पासपोर्ट अभी सुप्रीम कोर्ट के पास है, ऐसे में उसका भारत से बाहर जाना केवल नए या फर्जी पासपोर्ट से ही संभव हो सकता है।

READ ALSO  सरफेसी अधिनियम का अध्याय II स्पष्ट रूप से मनमाना नहीं है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं है: दिल्ली हाईकोर्ट

पीठ ने मामले को 10 दिनों के लिए स्थगित करते हुए MEA और दिल्ली पुलिस दोनों से ताज़ा स्थिति रिपोर्ट मांगी है।

बसु वर्ष 2019 में भारत आई थी और 2023 में वैवाहिक विवाद के बाद बेटे की संपूर्ण अभिरक्षा मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। मई 2025 में अदालत ने साझा अभिरक्षा का आदेश दिया था और उसके वीज़ा का विस्तार करते हुए पुलिस को उसके घर पर निगरानी रखने का निर्देश दिया था।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles