रांची, 13 सितम्बर 2025: झारखंड राज्य के सभी जिलों में रक्षा कर्मियों, भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रित परिवारजनों के लिए नालसा वीर परिवार सहायता योजना 2025 के अंतर्गत विधिक सेवा क्लिनिकों का वर्चुअल शुभारंभ आज किया गया।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय न्यायमूर्ति श्री तरलोक सिंह चौहान, मुख्य न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय सह संरक्षक, झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) द्वारा आर्मी कैंट, दीपाटोली, रांची स्थित केरकेट्टा सभागार में किया गया। इस अवसर पर माननीय न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, झालसा, तथा माननीय न्यायमूर्ति श्री संजय कुमार द्विवेदी एवं माननीय न्यायमूर्ति श्री संजय प्रसाद, झारखण्ड उच्च न्यायालय, आर्मी अफसर मेजर जनरल सज्जन सिंह मान, GOC, 23, Infantry, ब्रिगेडियर राज कुमार, Sena Medal, Deputy GOC, 23 Infantry, कुमारी रंजना अस्थाना, सदस्य सचिव झालसा अन्य वरिस्ठ सैन्य अधिकारी, न्यायिक पदाधिकारी गण, पुलिस उपमहानिरीक्षक सह वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, उपायुक्त की भी गरिमामयी उपस्थिति रही |

इस अवसर पर सभी जिलों के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्ष एवं सचिव वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे। कार्यक्रम के दौरान 90 दिवसीय वीर परिवार सहायता अभियान का भी शुभारंभ माननीय मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य गणमान्य अतिथियों के द्वारा किया गया। इस अभियान का उद्देश्य अधिक से अधिक लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें त्वरित राहत प्रदान करना है।

स्वागत भाषण में सुश्री रंजना अस्थाना, सदस्य सचिव, झाल्सा ने कहा कि माननीय संरक्षक-इन-चीफ एवं कार्यकारी अध्यक्ष के नेतृत्व में झालसा निरंतर नई उपलब्धियाँ प्राप्त कर रहा है और झारखंड के दूरदराज़ क्षेत्रों तक अपनी पहुँच बना रहा है। माननीय सदस्य सचिव ने यह भी कहा कि इस वीर परिवार योजना के अंतर्गत सेना के जवान एवं अवकाश प्राप्त और उनके आश्रित परिवारों को विधिक सहायता प्रदान किया जाएगा |

मेजर जनरल सज्जन सिंह मान, जीओसी, 23 इन्फैंट्री डिवीजन ने अपने विशेष उद्बोधन में नालसा एवं झालसा को इस ऐतिहासिक योजना के लिए बधाई दी और इसे सैनिकों एवं उनके परिवारों के लिए कल्याणकारी पहल बताया।
अपने संबोधन में माननीय श्री न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद, कार्यकारी अध्यक्ष, झाल्सा ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य केवल विधिक सहायता प्रदान करना ही नहीं, बल्कि सैनिकों और उनके आश्रितों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(क) के अंतर्गत प्रदत्त विधिक एवं संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना भी है।

माननीय मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि “सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों के लिए विधिक सेवा क्लिनिक केवल औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि एक गंभीर संकल्प है। यह न्यायपालिका की ओर से उन वीरों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। झारखंड की न्यायपालिका सदा अपने सैनिकों के साथ खड़ी है।”
इसी क्रम में, आज राष्ट्रीय लोक अदालत का भी सफल आयोजन पूरे राज्य में किया गया। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 288 पीठों का गठन किया गया, जिनमें कुल 19,01,846 वादपूर्व एवं 1,60,032 लंबित मामलों का निष्पादन हुआ तथा ₹9,24,93,44,880 की राशि का समझौता संपन्न हुआ।
प्रेषक:
झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झाल्सा), राँची