दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों को संरक्षण देते हुए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स को उनके नाम, तस्वीर, पहचान और एआई-जनित सामग्री का अवैध व्यावसायिक इस्तेमाल करने से रोक दिया है।
न्यायमूर्ति तेजस करिया ने 9 सितंबर को पारित आदेश (जो गुरुवार को सार्वजनिक हुआ) में कहा कि किसी प्रसिद्ध व्यक्तित्व की पहचान का बिना अनुमति इस्तेमाल न केवल आर्थिक नुकसान पहुँचाता है बल्कि उनकी गरिमा के साथ जीने के अधिकार को भी प्रभावित करता है।
“अदालतें ऐसे मामलों में आंख मूंदकर नहीं बैठ सकतीं। अनधिकृत शोषण से प्रभावित पक्षों की रक्षा करना आवश्यक है ताकि उन्हें किसी प्रकार की हानि से बचाया जा सके,” न्यायमूर्ति ने टिप्पणी की।

हाईकोर्ट ने कहा कि राय ने प्राइमा फेसी मामला स्थापित कर दिया है और उनके पक्ष में अंतरिम निषेधाज्ञा देना उचित है। अदालत ने माना कि अगर राहत नहीं दी गई तो “वादिनी और उनके परिवार को न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि गरिमा के साथ जीने के अधिकार के संदर्भ में भी अपूरणीय क्षति होगी।”
यह अंतरिम आदेश राय की उस याचिका पर दिया गया जिसमें उन्होंने अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करने और उनके नाम-तस्वीर का दुरुपयोग कर बनाई जा रही अवैध वस्तुओं, सामग्री और एआई-जनित अश्लील सामग्री के प्रसार पर रोक लगाने की मांग की थी।
याचिका में कहा गया है कि राय के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं — जैसे नाम, छवि, आवाज़, शैली और पहचान — का दुरुपयोग कर व्यावसायिक लाभ कमाया जा रहा है।
मामले में जिन वेबसाइट्स और संस्थाओं को प्रतिवादी बनाया गया है, उनमें शामिल हैं:
- वेबसाइट्स: aishwaryaworld.com, apkpure.com, bollywoodteeshop.com, kashcollectiveco.com
- प्लेटफ़ॉर्म/संस्थाएँ: ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म Etsy, “Aishwarya Nation Wealth Motivational Speaker,” चैटबॉट पोर्टल jainatorai.com, और यूट्यूब चैनल @NewNWSTamil व @Bollywood_CinemaTV07
- तकनीकी और नियामक निकाय: Google LLC, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, तथा दूरसंचार विभाग।
हाईकोर्ट ने कहा कि प्रसिद्धि का अधिकार (राइट टू पब्लिसिटी), जिसे व्यक्तित्व अधिकार भी कहा जाता है, व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने की अनुमति देता है कि उसकी पहचान का व्यावसायिक उपयोग उसी के नियंत्रण और लाभ में रहे।
राय की याचिका में विशेष रूप से उनके नाम, आवाज़, छवि, व्यक्तित्व, अनोखी शैली और हस्ताक्षर की रक्षा की मांग की गई है।