इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि उमर अंसारी, दिवंगत माफिया-से-राजनीतिज्ञ बने मुख्तार अंसारी के बेटे, द्वारा दायर जमानत अर्जी नियमित अदालत में सुनी जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला एमपी-एमएलए मामलों की अदालत में सुनवाई योग्य नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने उमर अंसारी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान पारित किया। उमर ने लंबित आपराधिक मामले में जेल से रिहाई की मांग की थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, उमर अंसारी ने अपनी मां अफसा अंसारी के हस्ताक्षर और दस्तावेजों को जाली बनाकर उस संपत्ति को अपने नाम कराने की कोशिश की थी, जिसे गैंगस्टर एक्ट के तहत ज़ब्त किया गया था। इस संबंध में गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाने में मामला दर्ज किया गया था।

पुलिस का आरोप है कि उमर ने अदालत से ज़ब्त संपत्ति को छुड़वाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए। हाल ही में पुलिस ने उन्हें लखनऊ से गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
इससे पहले निचली अदालत ने उमर अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया और मुकदमे की कार्यवाही लंबित रहने तक जमानत देने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति जैन ने हालांकि निर्देश दिया कि उनकी जमानत अर्जी की सुनवाई नियमित अदालत में की जाए, न कि एमपी-एमएलए मामलों की विशेष अदालत में।
अब यह मामला आगे की सुनवाई के लिए नियमित अदालत में जाएगा।