केंद्र ने ऑनलाइन गेमिंग कानून के खिलाफ याचिकाओं को उच्च न्यायालयों से सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने की मांग की

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को अलग-अलग उच्च न्यायालयों से स्थानांतरित कर शीर्ष अदालत में सुनवाई करने का अनुरोध किया है। सरकार का कहना है कि इससे विरोधाभासी फैसलों से बचा जा सकेगा।

यह मामला मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष उल्लेखित किया गया। केंद्र के वकील ने कहा, “केंद्र ने ट्रांसफर याचिका दाखिल की है… ऑनलाइन गेमिंग रेगुलेशन अधिनियम को तीन उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है। अगर इसे सोमवार को सूचीबद्ध किया जा सके क्योंकि यह कर्नाटक हाईकोर्ट में अंतरिम आदेश हेतु सूचीबद्ध है।”

READ ALSO  अमेज़न प्राइम इंडिया हेड अपर्णा पुरोहित को तांडव वेब सीरीज़ विवाद मामले में इलाहाबाद HC से अग्रिम जमानत मिली

मुख्य न्यायाधीश ने मामले को अगले सप्ताह विचारार्थ सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।

प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 देश का पहला केंद्रीय कानून है, जो वास्तविक धन आधारित ऑनलाइन गेमिंग पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाता है। इसमें फैंटेसी स्पोर्ट्स जैसे लोकप्रिय प्रारूप भी शामिल हैं। यह अधिनियम स्किल (कौशल) या चांस (संयोग) पर आधारित किसी भी ऑनलाइन मनी गेम की पेशकश या खेलने पर रोक लगाता है और उल्लंघन को संज्ञेय एवं गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में रखता है।

READ ALSO  T20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाना पड़ा भारी, कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

यह विधेयक 20 अगस्त को लोकसभा में पेश हुआ और दो दिनों के भीतर दोनों सदनों से ध्वनिमत से पारित हो गया। 22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून लागू हो गया।

इस कानून को मध्य प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह संपूर्ण प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत व्यापार और व्यवसाय की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है और कौशल आधारित खेलों और संयोग आधारित खेलों के बीच भेद करने में विफल रहता है।

READ ALSO  SC bins Punjab's appeal against HC order quashing FIR against SAD chief Sukhbir Badal

केंद्र ने अपनी ट्रांसफर याचिका में कहा है कि जब अलग-अलग क्षेत्राधिकारों में यह कानून चुनौती के दायरे में है तो सुप्रीम कोर्ट को इन सभी मामलों को एकसाथ सुनना चाहिए। इससे न्यायिक निर्णयों में एकरूपता बनी रहेगी और कई बार मुकदमेबाजी से बचा जा सकेगा।

यह याचिका अब अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आ सकती है, जबकि कर्नाटक हाईकोर्ट में इस पर अंतरिम आदेश का इंतजार है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles