सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और कन्हैयालाल के बेटे यश टेली की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें उदयपुर दर्जी हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद जावेद को दी गई ज़मानत रद्द करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसने पहले जावेद को ज़मानत दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि जावेद की भूमिका बेहद गंभीर थी क्योंकि उसने मुख्य आरोपियों को कन्हैयालाल की मौजूदगी और गतिविधियों की जानकारी दी थी। उनका कहना था कि हाईकोर्ट ने अपराध की गंभीरता पर गहराई से विचार किए बिना ही ज़मानत दे दी।

एनआईए के अनुसार, जावेद कन्हैयालाल की दुकान के पास काम करता था और उसने अपराध के दिन मृतक के बारे में वास्तविक समय की सूचना आरोपियों को दी।
28 जून 2022 को उदयपुर के हाथीपोल क्षेत्र में दर्जी कन्हैयालाल की दुकान पर cleaver से लैस दो हमलावर मोहम्मद रियाज़ और मोहम्मद गौस ग्राहक बनकर घुसे और उनकी निर्मम हत्या कर दी। हत्या का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला गया, जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया।
एनआईए की जांच में सामने आया कि यह हमला पूर्व नियोजित था जिसमें हथियार जुटाने, रेकी करने और सूचना देने जैसी साजिश रची गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए और पीड़ित परिवार की आपत्तियों को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा और कहा कि जावेद को मिली ज़मानत में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।
इस बीच, मुख्य आरोपी रियाज़ और गौस के खिलाफ मुकदमा अब भी लंबित है और मामले की जांच एनआईए कर रही है।