‘आपत्तिजनक’ कार्टून मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को दी अग्रिम जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को अग्रिम जमानत दे दी, जिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर साझा करने का आरोप है।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने यह राहत देते हुए कहा कि मालवीय पहले ही फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि वे जांच में सहयोग नहीं करते हैं, तो पुलिस उनकी जमानत रद्द करने की अर्जी दाखिल कर सकती है।

मालवीय के खिलाफ मई में मध्य प्रदेश के इंदौर में वकील और आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि उनके पोस्टों से हिंदू धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और सामाजिक सौहार्द बिगड़ा। एफआईआर में कथित रूप से भगवान शिव पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के साथ-साथ प्रधानमंत्री और आरएसएस कार्यकर्ताओं पर कार्टून, वीडियो, फोटो और टिप्पणियों का भी जिक्र है।

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पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराएं 196 (समुदायों के बीच सौहार्द बनाए रखने के विरुद्ध कार्य), 299 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने का इरादा) और 352 (उकसाने के इरादे से जानबूझकर अपमान) सहित सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) लागू की हैं।

मालवीय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने अदालत को बताया कि उन्होंने पहले ही खेद जताते हुए माफी मांगी है और अभी तक उन्हें तलब नहीं किया गया है। इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि सबूत एकत्र होने के बाद ही समन भेजा जाएगा।

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पीठ ने मालवीय द्वारा दायर हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने “पूर्ण रूप से खेद” व्यक्त किया था और टिप्पणी की: “हम उम्मीद करते हैं कि यह माफी केवल कलम से नहीं बल्कि दिल से भी हो।”

इससे पहले 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी थी और सोशल मीडिया पर बढ़ते आपत्तिजनक पोस्टों पर चिंता जताते हुए कहा था कि इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए न्यायिक आदेश की आवश्यकता हो सकती है। मंगलवार को अदालत ने उस अंतरिम आदेश को “पूर्ण” कर दिया।

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मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तब खटखटाया जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 जुलाई को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट में उनके वकील ने दलील दी थी कि मालवीय ने केवल कार्टून साझा किया था और उस पर अन्य फेसबुक उपयोगकर्ताओं द्वारा की गई टिप्पणियों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

मामले की जांच अभी जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यदि जांच में सहयोग नहीं किया गया तो पुलिस अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग कर सकती है।

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