सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के संभल स्थित शाही जामा मस्जिद विवाद में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आलोक राधे की पीठ ने यह आदेश उस समय पारित किया जब उसके समक्ष जामा मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दायर दो अपीलें आईं। समिति की ओर से सचिव और उपाध्यक्ष ने अपील दाखिल की थी। शीर्ष अदालत ने अपने रजिस्ट्री को मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया।
सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकारों की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने यथास्थिति आदेश बढ़ाने का विरोध किया। वहीं मस्जिद प्रबंधन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ैफा अहमदी ने रिपोर्ट आने तक आदेश को बनाए रखने का आग्रह किया।

यह अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर की गई है, जिसमें हाईकोर्ट ने मस्जिद समिति की उस याचिका को खारिज कर दिया था जो संभल की सिविल अदालत द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के खिलाफ थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आयुक्त नियुक्त करने के आदेश और वाद को बरकरार रखा था।
विवाद की पृष्ठभूमि नवंबर 19, 2024 के आदेश से जुड़ी है, जब संभल की सिविल अदालत ने मुग़लकालीन मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था और उसी दिन सर्वेक्षण पूरा भी कर लिया गया। मस्जिद समिति का दावा है कि 24 नवंबर को किया गया दूसरा सर्वेक्षण अवैध था क्योंकि इसके लिए अदालत से कोई आदेश पारित नहीं हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब आगामी दो सप्ताह तक यथास्थिति बनी रहेगी, जबकि अदालत इस मामले में सर्वेक्षण की वैधता और हाईकोर्ट के फैसले की समीक्षा करेगी।