सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका में 21 बार तारीख बढ़ाने पर नाराज़गी जताई, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से हस्तक्षेप करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा एक जमानत मामले में 21 बार सुनवाई टालने पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए दोहराया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों का शीघ्र निपटारा किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखने और जल्द निपटाने का अनुरोध किया।

यह मामला कुलदीप नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका से संबंधित था। सुनवाई के दौरान उनके वकील ने बताया कि हाईकोर्ट में उनकी जमानत अर्जी की सुनवाई 21 अलग-अलग अवसरों पर टल चुकी है और अगली तारीख भी दो महीने बाद तय की गई है।

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को हाल ही का एक मामला भी याद दिलाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए एक आरोपी को जमानत दी थी कि उसकी जमानत सुनवाई हाईकोर्ट में 43 बार टल चुकी थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उस मामले में भी उन्होंने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने को कहा था।

READ ALSO  [BREAKING] SC Stays Allahabad HC Order Granting Bail to Gayatri Prajapati

वर्तमान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीधे जमानत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट को स्पष्ट निर्देश दिया। पीठ ने कहा, “हम बार-बार कह रहे हैं कि नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों की सुनवाई और निर्णय शीघ्र होना चाहिए। अतः हम इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि इस मामले का शीघ्र निपटारा करें।”

पीठ ने यह भी जोड़ा, “यह कहने की आवश्यकता नहीं कि अगली तारीख को हाईकोर्ट इस मामले को लेकर जमानत अर्जी का निर्णय करेगा।” अदालत ने आरोपी को यह स्वतंत्रता भी दी कि अगर अगली सुनवाई के बाद भी वह असंतुष्ट हो, तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकता है।

READ ALSO  मद्रास हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री बालाजी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया

मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी हाल ही में अपनाए गए उस रुख के अनुरूप है जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में बार-बार सुनवाई टालने की प्रवृत्ति की आलोचना की थी। रामनाथ मिश्रा मामले में, जो तीन साल छह महीने से अधिक समय से हिरासत में थे, सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को 43 बार स्थगन होने के बाद जमानत दी थी।

उस आदेश में मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, “हम हाईकोर्ट की इस प्रवृत्ति की सराहना नहीं करते कि वह किसी नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को इतने अधिक अवसरों पर स्थगित करे। हम बार-बार देख चुके हैं कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को अदालतों को अत्यंत शीघ्रता से लेना चाहिए।”

READ ALSO  हाईकोर्ट ने पीछा करने और यौन उत्पीड़न मामले में  मानसिक विकार से पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी रद्द की 

Video thumbnail

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles