सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ दर्ज मामले में विशेष जांच दल (SIT) गठित करने और एफआईआर दर्ज करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। मसूद पर भोपाल स्थित एक कॉलेज को फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर चलाने का आरोप है।
न्यायमूर्ति जे.के. महेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय विष्णोई की पीठ ने इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज की याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। कॉलेज ने हाईकोर्ट के 18 अगस्त के आदेश को चुनौती दी थी।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल पुलिस आयुक्त को तीन दिनों के भीतर मसूद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और पुलिस महानिदेशक को विशेष जांच दल गठित करने का निर्देश दिया था। इसके पालन में राज्य पुलिस ने 21 अगस्त को तीन सदस्यीय SIT का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (टेलीकॉम) संजीव शामी को सौंपी गई। इसके अलावा छिंदवाड़ा रेंज के डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती और एआईजी (ट्रेनिंग) निमिषा पांडेय को सदस्य बनाया गया।

इसके बाद कोहे-फिज़ा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 471 (फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग) के तहत एफआईआर दर्ज की गई, जिसकी पुष्टि एसीपी अनिल बाजपेई ने की।
मामला उस समय शुरू हुआ जब मध्य प्रदेश सरकार ने 9 जून को इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी। यह कॉलेज अमन एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित है, जिसके सचिव आरिफ मसूद हैं। मसूद ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन राहत देने के बजाय हाईकोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही शुरू करने और SIT जांच का आदेश दे दिया।
कॉलेज द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और विधायक तथा संस्थान दोनों को अंतरिम राहत प्रदान की। शीर्ष अदालत ने कहा कि अब यह मामला मध्य प्रदेश सरकार की प्रतिक्रिया दाखिल होने के बाद आगे सुना जाएगा।
अब इस मामले की अगली सुनवाई विस्तृत रूप से की जाएगी।