दिल्ली की सभी जिला अदालत बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने 22 और 23 अगस्त 2025 को सभी जिला अदालतों में पूर्ण रूप से काम का बहिष्कार करने की घोषणा की है। यह निर्णय 13 अगस्त 2025 को उपराज्यपाल द्वारा जारी उस अधिसूचना के विरोध में लिया गया है, जिसमें पुलिस अधिकारियों की गवाही रिकॉर्ड करने के लिए पुलिस थानों को नामित स्थल बनाया गया है।
आज (21 अगस्त) हुई समिति की आपात बैठक में वकीलों ने इस अधिसूचना को मनमाना, अवैध और जनसामान्य व विधिक बिरादरी के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताया।

अधिकारियों को सौंपा गया ज्ञापन
20 अगस्त को समिति ने उपराज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय कानून मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली के मुख्यमंत्री और दिल्ली के गृह मंत्री को ज्ञापन सौंपकर इस अधिसूचना का विरोध दर्ज कराया था। इसमें कहा गया था कि यह अधिसूचना गृह सचिव, भारत सरकार द्वारा 15 जुलाई 2024 को जारी परिपत्र के विपरीत है।

समिति ने अधिसूचना वापस लेने की मांग की थी और चेतावनी दी थी कि यदि दो दिनों के भीतर इसे वापस नहीं लिया गया तो बार एसोसिएशन कड़ा विरोध प्रदर्शन करेगी।
अदालतों का बहिष्कार करने का निर्णय
प्रस्ताव के बावजूद अधिसूचना वापस नहीं ली गई। इस पर समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 22 और 23 अगस्त को कोई भी अधिवक्ता किसी भी अदालत में न तो शारीरिक रूप से और न ही वर्चुअल मोड से पेश होगा। सभी वकीलों से सहयोग का आग्रह किया गया है और चेतावनी दी गई है कि यदि कोई अधिवक्ता अदालत में पेश हुआ तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
समिति 23 अगस्त को पुनः बैठक कर परिस्थितियों के अनुसार आगे की कार्यवाही तय करेगी।