मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन (GCC) के उस प्रस्ताव को रद्द करने से इनकार कर दिया जिसमें शहर के दो ज़ोन में सैनिटरी कार्यों को एक निजी कंपनी को आउटसोर्स करने का निर्णय लिया गया था।
न्यायमूर्ति के. सुरेन्दर ने उज़हैप्पोर उरीमाई इयाक्कम द्वारा दायर याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि सफाई कार्यों का आउटसोर्स करना सरकार का नीतिगत निर्णय है और इसे सैनिटरी कर्मियों की “सेवा समाप्ति” (retrenchment) नहीं माना जा सकता।
अदालत ने स्पष्ट किया कि निगम का यह निर्णय सैनिटरी कर्मियों के अधिकारों या औद्योगिक न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित कार्यवाहियों को प्रभावित नहीं करेगा। साथ ही यह भी कहा गया कि निगम ने किसी भी कर्मचारी की सेवा समाप्त नहीं की है और निजी कंपनी के साथ हुए समझौते में ऐसी कोई शर्त भी नहीं है।

न्यायमूर्ति सुरेन्दर ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि निजी कंपनी से बातचीत कर यह सुनिश्चित किया जाए कि जो कर्मचारी आउटसोर्स संचालन में शामिल होना चाहें, उन्हें उनका अंतिम आहरित वेतन (last drawn wages) मिले। इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि कंपनी द्वारा कर्मचारियों को दिए जाने वाले ₹3,000 के वेलकम बोनस का भुगतान 10 सितंबर 2025 तक किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सैनिटरी कर्मियों को अपने अधिकारों के लिए कानून के तहत विरोध करने की स्वतंत्रता बनी रहेगी, चाहे वे निजी कंपनी से जुड़ना चुनें या न चुनें।