दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को अमटेक समूह के पूर्व अध्यक्ष अरविंद धाम की ₹2,700 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति रविंद्र दुडेज़ा ने कहा कि राहत देने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है। धाम फिलहाल न्यायिक हिरासत में रहेंगे।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में धाम को इस मामले में अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की जांच रोकथाम मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (PMLA) के तहत सुप्रीम कोर्ट के 27 फरवरी 2024 के आदेश पर कर रहा है। हाल ही में एजेंसी ने अमटेक समूह की कंपनियों की ₹550 करोड़ से अधिक की संपत्तियां अस्थायी रूप से अटैच कीं।

पिछले साल सितंबर में ईडी ने ₹5,115.31 करोड़ की संपत्तियां अटैच की थीं। अटैच संपत्तियों में राजस्थान और पंजाब में 145 एकड़ जमीन, दिल्ली-एनसीआर की ₹342 करोड़ कीमत की संपत्तियां और ₹112.5 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट व बैंक बैलेंस शामिल हैं।
ईडी के अनुसार, धाम और अमटेक ऑटो लिमिटेड, एआरजी लिमिटेड, एसीआईएल लिमिटेड, मेटलिस्ट फोर्जिंग लिमिटेड और कैस्टेक्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड सहित समूह की कई कंपनियों ने बैंकों से लिए गए ऋणों का गैरकानूनी तरीके से दुरुपयोग किया और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भारी नुकसान पहुंचाया।
आईडीबीआई बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र की शिकायतों पर सीबीआई ने आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। जांच में सामने आया कि समूह की कंपनियों को दिवालियापन की ओर धकेला गया, जिससे उनके समाधान योजना में बैंकों को 80% से अधिक का नुकसान (हेयरकट) उठाना पड़ा।
जांचकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि अमटेक कंपनियों के वित्तीय बयानों को “भ्रामक तरीके से हेरफेर” कर अतिरिक्त धोखाधड़ी वाले ऋण लिए गए और खातों में फर्जी परिसंपत्तियां व निवेश दिखाए गए।
अरविंद धाम को ईडी ने जुलाई 2023 में गिरफ्तार किया था और उसी साल सितंबर में आरोपपत्र दायर किया गया। एजेंसी का कहना है कि सभी अटैच की गई संपत्तियां “अपराध की प्रत्यक्ष आय” हैं, जिन्हें धाम ने या उनकी कंपनियों ने फर्जी ऋण स्वीकृतियों के माध्यम से हासिल किया।