सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व बंगाल मंत्री पार्थ चटर्जी को शिक्षक भर्ती घोटाले में दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बहु–करोड़ शिक्षक भर्ती घोटाले में आरोपी पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी को जमानत दे दी। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि उनकी रिहाई तभी होगी जब ट्रायल कोर्ट मामले के प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज कर लेगा।

न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि चटर्जी लगभग तीन साल से हिरासत में हैं और उनकी लगातार कैद “न्याय का उपहास” होगी।
पीठ ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि चार सप्ताह के भीतर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत आरोप तय किए जाएं और दो महीने के भीतर प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज किए जाएं। इसके बाद ही चटर्जी को रिहा किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सह–आरोपी सुबीर भट्टाचार्य और शांतिप्रसाद सिन्हा को भी जमानत प्रदान की।

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चटर्जी 2001 से विधायक हैं और 2011 से 2022 तक मंत्री पद पर रहे। 2016 से 2022 तक वे शिक्षा मंत्री भी रहे। उन पर राज्य शिक्षा विभाग में अवैध नियुक्तियों की साजिश रचने का आरोप है। यह घोटाला प्राथमिक शिक्षक, सहायक शिक्षक और अन्य पदों पर अनियमित भर्ती से जुड़ा है।
यह विवाद तब उठा जब पश्चिम बंगाल प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) में असफल उम्मीदवारों ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। 8 जून 2022 को हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया, जिसके बाद अगले दिन एफआईआर दर्ज हुई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी 24 जून 2022 को केस दर्ज किया।

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जुलाई 2022 में चटर्जी के ठिकानों पर छापों के दौरान एजेंसियों ने उनके करीबी सहयोगियों से जुड़ी 12 अचल संपत्तियों के दस्तावेज़ जब्त किए। उनकी एक सहयोगी के घर से ₹21.9 करोड़ नकद और लगभग ₹76 लाख मूल्य के सोने के आभूषण भी बरामद हुए।

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चटर्जी की जमानत की पूर्ववर्ती कोशिशें असफल रहीं। ट्रायल कोर्ट ने 3 अगस्त 2023 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी 30 अप्रैल 2024 को उनकी अपील नामंज़ूर कर दी।
अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उनकी रिहाई गवाहों की गवाही की तेज़ी से प्रगति पर निर्भर करेगी।

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