सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के कड़े अंतरिम निर्देश

राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को सड़कों और हाईवे पर बढ़ते आवारा पशुओं के खतरे को रोकने के लिए सख्त अंतरिम निर्देश जारी किए। कोर्ट ने चेतावनी दी कि हमलों और दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाएं न केवल जन सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि पर्यटन के लिए प्रसिद्ध राज्य की छवि को भी नुकसान पहुँचा रही हैं।

जोधपुर पीठ के न्यायमूर्ति कुलदीप माथुर और न्यायमूर्ति रवी चिरानिया ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की। यह आदेश उसी दिन आया जब सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कुत्तों के काटने की घटनाओं के बाद दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को हटाने के निर्देश दिए।

राज्यव्यापी विशेष अभियान और सख्त कार्रवाई

हाईकोर्ट ने राज्य की सभी नगर निकायों को सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्ते और अन्य पशुओं को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया, साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि पशुओं को न्यूनतम शारीरिक हानि पहुँचे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नगर निकाय कर्मियों के काम में बाधा डालने वाले व्यक्तियों या समूहों पर संबंधित नगर पालिका कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी।

Video thumbnail

अधिकारियों को इस कार्य में हस्तक्षेप करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए “पूरी छूट” दी गई। विशेष रूप से, जोधपुर नगर निगम को एम्स जोधपुर और जिला न्यायालय परिसर — दोनों भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों — से तुरंत आवारा पशु हटाने के निर्देश दिए गए।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और राज्य राजमार्ग प्राधिकरण को सड़कों की नियमित गश्त कर यातायात सुचारू रखने के आदेश भी दिए गए।

READ ALSO  क्या पत्नी के साथ समझौते के आधार पर पति धारा 125 CrPC में गुजारा भत्ता देने से बच सकता है? जानिए हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

शिकायत व्यवस्था और भोजन संबंधी दिशानिर्देश

नगर निकायों को आवारा पशुओं से संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए फोन नंबर और ईमेल आईडी सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए। अदालत ने यह भी कहा कि यदि नागरिक दया या धार्मिक भावनाओं के तहत ऐसे पशुओं को खिलाना या देखभाल करना चाहते हैं, तो यह कार्य केवल निर्धारित डॉग शेल्टर, पशु आश्रय स्थल (गौशालाओं) या नगर निकाय/निजी संस्थाओं द्वारा संचालित कांजी हाउस में किया जाए।

आश्रय स्थलों की स्थिति और रिपोर्ट

कोर्ट ने 8 सितंबर तक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगी है, जिसमें आश्रय स्थलों की स्थिति, स्टाफ की उपलब्धता, पशु चिकित्सकों और कर्मचारियों की संख्या, तथा विभिन्न प्रजातियों (जैसे बिल्लियों) के लिए अलग-अलग व्यवस्था का विवरण शामिल हो। अदालत ने कहा कि आवारा पशुओं के मानवीय प्रबंधन के लिए आश्रय स्थलों की सुविधाओं में सुधार आवश्यक है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नकली शराब के निर्माण, परिवहन को रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया

“हम आम जनता से अपेक्षा करते हैं कि वे पशुओं के प्रति अपनी संवेदनाएं सार्वजनिक सड़कों पर नहीं, बल्कि निर्धारित आश्रयों में व्यक्त करें,” पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जन सुरक्षा सर्वोपरि है।

बढ़ते हमलों पर कोर्ट की चिंता

अमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और कर्तव्यों के निर्वहन में विफलता के कारण आवारा पशुओं द्वारा हमलों और काटने की घटनाओं में खतरनाक वृद्धि हुई है, जिससे न केवल मानव जीवन खतरे में है बल्कि राजस्थान की पर्यटन छवि भी खराब हो रही है। अदालत के निर्देशों का उद्देश्य पशु कल्याण और जन सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना और नगर निकायों की जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

READ ALSO  केवल बैंक के अनुरोध पर लुक आउट सर्कुलर जारी नहीं किया जा सकता, दिमाग का इस्तेमाल जरूरी: दिल्ली हाई कोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles