दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और सभी संबंधित पक्षों को तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े कथित ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ घोटाले में लोकपाल को सौंपी गई रिपोर्ट पर सख्त गोपनीयता बनाए रखने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने यह निर्देश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया जिसमें मोइत्रा ने आरोप लगाया था कि CBI द्वारा लोकपाल के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करने के तुरंत बाद मीडिया को इसकी जानकारी दे दी गई। अदालत ने कहा, “गोपनीयता बनाए रखी जाए… इसमें कोई संदेह नहीं कि गोपनीयता बनाए रखना अनिवार्य है। सभी इसके पालन के लिए बाध्य हैं।” न्यायालय ने कहा कि इस पर विस्तृत आदेश जारी किया जाएगा।
मोइत्रा की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे किसी समाचार को हटाने का आदेश नहीं मांग रहे हैं, बल्कि लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम और संबंधित परिपत्रों के प्रावधानों का पालन होना चाहिए, जिनमें ऐसी कार्यवाही को गोपनीय रखने का प्रावधान है।

CBI ने 21 मार्च 2024 को लोकपाल के संदर्भ पर मोइत्रा और दुबई के व्यापारी दर्शन हीरानंदानी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज की थी। BJP सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने हीरानंदानी से नकद और तोहफों के बदले संसद में सवाल पूछे, जिनका मकसद उद्योगपति गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाना था।
FIR के अनुसार, मोइत्रा ने कथित रूप से अपनी लोकसभा लॉगिन आईडी और पासवर्ड हीरानंदानी के साथ साझा कर संसदीय विशेषाधिकारों से समझौता किया और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला। CBI ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी थी, जिसके आधार पर अब आगे की कार्रवाई का निर्णय किया जाएगा।
मोइत्रा को दिसंबर 2023 में ‘अनैतिक आचरण’ के आरोप में 17वीं लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 2024 के आम चुनाव में उन्होंने BJP की अमृता राय को हराकर कृष्णानगर सीट पर जीत दर्ज की और 18वीं लोकसभा में वापसी की।