दिल्ली हाईकोर्ट ने रतुल पुरी और उनकी मां पर लगा ‘विलफुल डिफॉल्टर’ का ठप्पा हटाया, कहा—वर्गीकरण ‘कानूनी रूप से अस्थिर’

दिल्ली हाईकोर्ट ने मोसर बेयर इंडिया लिमिटेड के पूर्व निदेशक रतुल पुरी और उनकी मां नीता पुरी को दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा “विलफुल डिफॉल्टर” घोषित किए जाने को कानूनी रूप से अस्थिर करार देते हुए निरस्त कर दिया है।

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और न्यायमूर्ति अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की उन अपीलों को खारिज कर दिया, जिनमें एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पहले ही इस घोषणा को रद्द कर दिया गया था।

READ ALSO  एक क्लिक पर अपराधियों का आपराधिक इतिहास हो उपलब्ध, अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जाए- इलाहाबाद हाईकोर्ट

पीठ ने माना कि बैंक यह साबित करने में असफल रहे कि “सत्यापित और वस्तुनिष्ठ सामग्री के माध्यम से यह दिखाया जा सके कि संबंधित लेन-देन में उधार ली गई धनराशि को जानबूझकर मोड़ा या हेराफेरी की गई थी।”

Video thumbnail

अदालत ने इस तरह के निर्धारण की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा—
“सभी चरणों में प्राधिकरणों को इस तथ्य के प्रति सजग रहना चाहिए कि मास्टर सर्कुलर के अर्थ में विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया जाना नागरिक मृत्यु के समान परिणाम देता है।”

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी उधारकर्ता को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने का निर्णय ठोस तथ्यों, मामले-विशेष की परिस्थितियों और उसके समग्र रिकॉर्ड के आधार पर ही लिया जाना चाहिए।

READ ALSO  केरल लोकायुक्त ने सीएम विजयन पर सीएमडीआरएफ के दुरुपयोग के आरोप वाली याचिका खारिज कर दी

इससे पहले, एकल पीठ ने पाया था कि RBI के मास्टर सर्कुलर में परिभाषित विलफुल डिफॉल्ट के आवश्यक तत्व इस मामले में पूरे नहीं होते हैं। BoB और PNB ने उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिन्हें अब हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles