एलगार परिषद मामले में वकील सुरेंद्र गाडलिंग की जमानत याचिका बार-बार टलने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में अधिवक्ता सुरेंद्र गडलिंग की जमानत याचिका पर लगातार हो रही स्थगनाओं का संज्ञान लेते हुए इसे जल्द सूचीबद्ध करने का आश्वासन दिया। गडलिंग बीते छह वर्षों से अधिक समय से जेल में हैं।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने यह आश्वासन तब दिया जब वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने गडलिंग की ओर से पेश होते हुए उनके लंबे समय से बिना जमानत जेल में रहने की बात उठाई। ग्रोवर ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट में यह जमानत याचिका 11 बार स्थगित हो चुकी है।” इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।”

इससे पहले 27 मार्च को न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने गडलिंग और सामाजिक कार्यकर्ता ज्योति जगताप की जमानत याचिकाएं स्थगित कर दी थीं। इसी के साथ बंबई हाईकोर्ट द्वारा महेश राउत को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली एनआईए की याचिका पर भी सुनवाई टाल दी गई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर रोक एनआईए के अनुरोध पर लगाई गई थी।

Video thumbnail

गडलिंग, जो नागपुर स्थित मानवाधिकार अधिवक्ता हैं, पर आरोप है कि उन्होंने माओवादियों की मदद की और फरार आरोपियों सहित अन्य के साथ षड्यंत्र रचा। उन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया है। एनआईए का दावा है कि उन्होंने माओवादियों के साथ संवेदनशील सरकारी जानकारी साझा की, जिनमें नक्शे भी शामिल हैं, और उन्हें सुरजगढ़ में खनन परियोजनाओं का विरोध करने के लिए स्थानीय लोगों को उकसाने को कहा।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने की फोरम शॉपिंग प्रथा कि निंदा, आरोपी की जमानत भी रद्द की

एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे के ऐतिहासिक शनिवारवाड़ा में आयोजित एक सम्मेलन से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी।

गडलिंग उन कई व्यक्तियों में शामिल हैं जिन्हें इस व्यापक मामले में गिरफ्तार किया गया है। एनआईए का दावा है कि यह एक बड़ी माओवादी साजिश का हिस्सा है। सह-अभियुक्त ज्योति जगताप, जो ‘कबीर कला मंच’ (KKM) की सदस्य हैं, को बंबई हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि मंच पर दिए गए नारे “न केवल आक्रामक थे, बल्कि अत्यंत भड़काऊ भी थे।”

READ ALSO  बॉम्बे हाई कोर्ट ने दो नाबालिगों की डूबने के बाद झोपड़ी ढहाने पर स्पष्टीकरण मांगा

अदालत ने यह भी कहा था कि एनआईए के आरोपों पर विश्वास करने के लिए उचित आधार हैं कि जगताप ने “आतंकी कृत्य की साजिश रची, उसका प्रयास किया, उसका समर्थन किया और उसे उकसाया।” एनआईए का कहना है कि ‘कबीर कला मंच’ प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) का अग्रिम संगठन है।

जगताप की अपील ने फरवरी 2022 में विशेष एनआईए अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी। वहीं, महेश राउत को भले ही हाईकोर्ट से जमानत मिली हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनआईए की चुनौती पर रोक लगाए जाने के चलते वह अभी भी हिरासत में हैं।

READ ALSO  धारा 14A एससी-एसटी एक्ट | विशेष अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज करने के खिलाफ अपील पोषणीय है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles