सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें एक बलात्कार के आरोपी की विदेश यात्रा की अनुमति इस शर्त पर दी गई थी कि उसकी पत्नी, जो अमेरिका में कार्यरत हैं, भारत में “जमानत के तौर पर” रुकेंगी।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने आरोपी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की अपील पर राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया। अदालत ने अभियुक्त को विदेश यात्रा के लिए ₹2 लाख की जमानत राशि जमा करने का भी निर्देश दिया।
अभियुक्त की ओर से पेश अधिवक्ता अश्विनी दुबे ने दलील दी कि आरोपी की पत्नी न तो अभियुक्त हैं और न ही मामले की पक्षकार, फिर भी हाईकोर्ट ने बिना नोटिस दिए और बिना सुनवाई किए उन्हें भारत में रुकने का आदेश दे दिया। दुबे ने कहा, “पत्नी को सिर्फ इस आशंका पर कि अभियुक्त फरार हो सकता है, विदेश यात्रा से रोका गया है, जो पूरी तरह अनुचित है।”

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट का आदेश “प्रक्रियात्मक अनुचितता” और “कानूनी विचलन” से ग्रस्त है, क्योंकि इससे उस व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है जिसे न तो पक्षकार बनाया गया और न ही सुनवाई का मौका दिया गया।
याचिका में यह भी कहा गया कि अभियुक्त भारतीय नागरिक है, वैध पासपोर्ट धारक है और वह अमेरिका में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधीन रहेगा। वह केवल रोजगार के लिए विदेश जा रहा है और मुकदमे की कार्यवाही में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है।
मामला अजमेर के क्रिश्चियनगंज थाना क्षेत्र का है, जहां एक महिला ने अभियुक्त के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया था। महिला का आरोप है कि आरोपी ने एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर उनसे संपर्क कर चार साल तक शादी का झांसा देकर संबंध बनाए। यह आरोप भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 69 के तहत दर्ज किया गया है, जो धोखे से संबंध बनाने, जैसे कि झूठे विवाह प्रस्ताव, को अपराध मानती है।
अभियुक्त को अग्रिम जमानत मिल चुकी है और उसने रोजगार के लिए विदेश जाने की अनुमति के लिए पहले ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उसने राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया, जहां से उसे विदेश जाने की अनुमति तो मिली, लेकिन उसकी पत्नी को भारत में रुकने की शर्त के साथ।