लखनऊ, उत्तर प्रदेश – इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 को न्यायमूर्ति अताउ रहमान मसूदी के सेवानिवृत्त होने पर एक फुल कोर्ट रेफरेंस के माध्यम से उन्हें भावभीनी विदाई दी। इस अवसर पर न्यायपालिका और वकालत जगत के कई वरिष्ठ सदस्यों ने उनके उल्लेखनीय न्यायिक योगदान, विधिक विद्वता और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को सराहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने की। उनके साथ अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री पं. एस. चंद्र, अपर महाधिवक्ता श्री एस.एम. सिंह रोयेकार (राज्य सरकार की ओर से) और वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एस.बी. पांडे (केंद्र सरकार की ओर से) उपस्थित रहे। इन सभी वक्ताओं ने न्यायमूर्ति मसूदी के साथ अपने व्यक्तिगत और पेशेवर अनुभव साझा करते हुए उन्हें विनम्रता, ईमानदारी और कानून के शासन के प्रति समर्पण का प्रतीक बताया।
प्रारंभिक जीवन और न्यायिक क्षेत्र में प्रवेश
3 अगस्त 1963 को जम्मू-कश्मीर के मोगलपुरा में जन्मे न्यायमूर्ति मसूदी की विधिक यात्रा अनुशासन, ज्ञान और समर्पण का प्रतीक रही है। 1979 में मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने 1985 में श्री प्रताप कॉलेज, श्रीनगर से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से 1988 में विधि स्नातक (LLB) की डिग्री ली।

27 दिसंबर 1989 को वकील के रूप में नामांकन के बाद उन्होंने इलाहाबाद, दिल्ली, उत्तराखंड के उच्च न्यायालयों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की। सेवा, नागरिक, संवैधानिक और पर्यावरण कानून जैसे क्षेत्रों में उनकी गहरी समझ और शालीन व्यवहार के लिए वे प्रसिद्ध रहे।
एक उल्लेखनीय न्यायिक सफर
1 फरवरी 2014 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का अपर जज नियुक्त किया गया और 1 फरवरी 2016 को स्थायी जज बनाया गया। 10 अगस्त 2023 से वे लखनऊ पीठ के वरिष्ठतम न्यायाधीश के रूप में कार्यरत रहे।
फुल कोर्ट रेफरेंस में वक्ताओं ने उनके कई महत्वपूर्ण निर्णयों का उल्लेख किया। इनमें स्व-सहायता समूहों और सार्वजनिक निकायों के बीच कार्यप्रणाली से संबंधित मामला और संशोधित पेंशन नियमों की प्रतिपूरक प्रभावशीलता पर दिया गया निर्णय प्रमुख रहे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रशासनिक कार्यों में भी अहम भूमिका निभाई — वे कई ज़िलों के प्रशासनिक न्यायाधीश और अनेक महत्वपूर्ण समितियों के अध्यक्ष रहे।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने उनके न्यायिक स्वभाव की सराहना करते हुए कहा कि वे अत्यंत धैर्यशील, निष्पक्ष और विधिक दृष्टिकोण से गहन थे।
भावुक विदाई
अपने विदाई भाषण में न्यायमूर्ति मसूदी ने भावुक और आत्मीय संबोधन दिया। उन्होंने अपने परिवार, सहकर्मी न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और अपने स्टाफ का आभार व्यक्त किया और विधिक जीवन की चुनौतियों व संतोषजनक पहलुओं पर चिंतन किया। उन्होंने न्याय की मूल भावना और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर ज़ोर दिया।
न्यायमूर्ति मसूदी ने सरकारी अधिवक्ताओं की चुनौतियों पर भी बात की और एक पारदर्शी एवं न्यायसंगत प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अपनी दिवंगत पत्नी श्रीमती नाज़िया मसूदी को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने उनके जीवन और करियर पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने अपने बच्चों — अलीना मसूदी और अली अब्बास मसूदी — पर गर्व व्यक्त किया, जो दोनों ही विधिक पेशे में कार्यरत हैं।
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट और अपने सहकर्मियों के प्रति गहरा प्रेम और सम्मान व्यक्त किया, जिससे सभागार में मौजूद सभी लोग भावविभोर हो गए।
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