केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह विवादित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स – कन्हैयालाल टेलर मर्डर’ की रिलीज़ के लिए दी गई अपनी मंजूरी वापस ले रही है। यह फिल्म 8 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली थी।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ उन दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें केंद्र द्वारा फिल्म को रिलीज़ की अनुमति देने के फैसले को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने संबंधित पक्षों को निर्देश दिया कि वे 4 अगस्त को पुनरीक्षण प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित हों और अपनी दलीलें रखें।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उपस्थिति के लिए अब किसी नई नोटिस की आवश्यकता नहीं होगी और किसी भी पक्ष को पेशी में टाल-मटोल की अनुमति नहीं दी जाएगी। पीठ ने कहा, “पक्षकारों की सुनवाई के बाद कानून के अनुसार उचित निर्णय 6 अगस्त तक लिया जाए।”

कोर्ट ने उठाए केंद्र की कानूनी शक्तियों पर सवाल
दिन के पहले हिस्से में कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि आखिर केंद्र सरकार को कौन-सी कानूनी शक्ति के तहत फिल्म में छह अतिरिक्त कट्स लगाने का अधिकार मिला। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सरकार केवल कानून की सीमाओं के भीतर ही पुनरीक्षण शक्ति का प्रयोग कर सकती है।
केंद्र के वकील ने बताया कि फिल्म पहले ही दो स्तरों की समीक्षा से गुजर चुकी है — पहले सेंसर बोर्ड ने 55 कट्स सुझाए और फिर एक पुनरीक्षण समिति ने 6 अतिरिक्त कट्स व एक संशोधित डिस्क्लेमर जोड़ने को कहा।
याचिकाकर्ता ने जताई निष्पक्ष सुनवाई पर आशंका
मोहम्मद जावेद, जो कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपी हैं, की ओर से दलील दी गई कि फिल्म की रिलीज़ उनके निष्पक्ष ट्रायल के अधिकार को प्रभावित करेगी। उनके वकील ने कहा कि निर्माता स्वयं स्वीकार कर चुके हैं कि फिल्म की स्क्रिप्ट केस की चार्जशीट पर आधारित है और संवाद भी सीधे चार्जशीट से लिए गए हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा दाखिल दूसरी याचिका में भी फिल्म के रिलीज़ को रोकने की मांग की गई थी। दोनों याचिकाएं अब कोर्ट द्वारा निपटा दी गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट तक का मामला
यह मामला पहले सुप्रीम कोर्ट में गया था, जहां शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दिल्ली हाईकोर्ट में पुनरीक्षण आदेश को चुनौती देने का निर्देश दिया था। इससे पहले हाईकोर्ट ने फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाई थी, जिसके खिलाफ निर्माता शीर्ष अदालत पहुंचे थे।
25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्माताओं की अपील अब निरर्थक हो चुकी है क्योंकि उन्होंने केंद्र की छह कट्स और डिस्क्लेमर के साथ दी गई अनुमति स्वीकार कर ली थी।
पृष्ठभूमि: एक संवेदनशील मामला
जून 2022 में उदयपुर के दर्जी कन्हैयालाल की निर्मम हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने उन्हें इसलिए मारा क्योंकि उन्होंने नुपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट साझा की थी। हत्या के बाद आरोपियों ने वीडियो जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ली।