बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को कबूतरों को दाना डालने की गतिविधियों को सार्वजनिक उपद्रव करार देते हुए इसे लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताया। कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) को ऐसे लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने की अनुमति दे दी जो अदालत के पूर्व निर्देशों की अवहेलना करते हुए कबूतरों को दाना खिला रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे पशु प्रेमियों पल्लवी पाटिल, स्नेहा विसारिया और सविता महाजन ने दायर किया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि BMC ने 3 जुलाई से बिना किसी कानूनी प्रावधान के कबूतरखानों को तोड़ना शुरू कर दिया।
हालांकि, हाई कोर्ट ने पहले BMC को विरासत दर्जाबंदी वाले कबूतरखानों को तोड़ने से रोका था, लेकिन वहां कबूतरों को दाना डालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। बुधवार को कोर्ट ने पाया कि प्रतिबंध के बावजूद लोग कबूतरों को दाना डाल रहे हैं।

कोर्ट ने कहा, “हम यह स्पष्ट रूप से मानते हैं कि इस तरह की गतिविधियां सार्वजनिक उपद्रव हैं और इससे गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं जो मानव जीवन के लिए खतरनाक हैं।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन स्थानों पर कबूतरों का जमावड़ा होता है, वहां रहने वाले लोगों के लिए संक्रमण और रोगों का खतरा अत्यंत गंभीर है। ऐसे क्षेत्रों में रहने वालों के जीवन और स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
कोर्ट ने BMC को निर्देश दिया कि वह कबूतरखानों पर कबूतरों के जमावड़े को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए और उचित कार्रवाई करे।
पशु प्रेमियों की याचिका में दावा किया गया था कि BMC का यह कदम पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का उल्लंघन है, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा सर्वोपरि है।”