तेलंगाना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वाई श्रीलक्ष्मी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (OMC) के अवैध लौह अयस्क खनन मामले से खुद को बरी किए जाने की मांग की थी। इस फैसले के बाद अब उन्हें विशेष सीबीआई अदालत में मुकदमे का सामना करना होगा।
श्रीलक्ष्मी, जो आंध्र प्रदेश कैडर की अधिकारी हैं, इस मामले में सीबीआई द्वारा आरोपी नंबर 6 (A-6) के रूप में नामित की गई थीं। उन पर वर्ष 2007 में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की सचिव के पद पर रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग करने और ओएमसी को खनन पट्टों के आवंटन में अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप है। यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है।
अपनी याचिका में श्रीलक्ष्मी ने दावा किया था कि ओएमसी को पट्टा राज्य सरकार द्वारा उस समय दिया गया था जब वह विभाग की सचिव नहीं थीं, और उन्होंने किसी भी प्रकार की अनियमितता में कोई भूमिका नहीं निभाई।

इससे पहले विशेष सीबीआई अदालत ने उनकी डिस्चार्ज याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था। नवंबर 2022 में हाईकोर्ट ने उन्हें मामले से बरी कर दिया था, लेकिन सीबीआई ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह मामले की दोबारा सुनवाई कर तीन महीने के भीतर निर्णय दे। अब हाईकोर्ट ने पुनः सुनवाई के बाद श्रीलक्ष्मी की याचिका खारिज कर दी है।
इस बहुचर्चित मामले में पूर्व कर्नाटक मंत्री जी. जनार्दन रेड्डी और तीन अन्य को विशेष सीबीआई अदालत ने 6 मई को दोषी ठहराते हुए सात साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने 11 जून को उनकी सजा और दोषसिद्धि को स्थगित करते हुए उन्हें और अन्य दोषियों को जमानत दे दी थी।