सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: न्यायिक प्रक्रिया का राजनीतिकरण न करें, ममता बनर्जी के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए टली

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय को राजनीतिक अखाड़ा बनाने के प्रयासों को लेकर कड़ी चेतावनी दी।

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ — जिसमें न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन भी शामिल थे — ने कहा, “कृपया अपनी राजनीतिक लड़ाई इस अदालत के बाहर लड़ें।” यह टिप्पणी उस समय आई जब आत्मदीप नामक एक सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हो रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री ने शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले बयान दिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह, जो याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए, ने अदालत से सुनवाई टालने का अनुरोध किया और बताया कि उन्होंने आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल से सहमति मांगी है।

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इस पर सीजेआई ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “क्या आपको पूरा विश्वास है कि आपको सहमति मिल जाएगी? अदालत के समक्ष राजनीतिकरण की कोशिश न करें, अपनी राजनीतिक लड़ाई कहीं और लड़ें।”

इसके बाद अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है।

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यह याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा अप्रैल में दिए गए उस फैसले से जुड़ी है, जिसमें कोर्ट ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन द्वारा की गई लगभग 25,000 नियुक्तियों को रद्द करने के कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। अदालत ने माना था कि पूरी भर्ती प्रक्रिया घोटाले और अनियमितताओं से ग्रस्त थी और उसे वैध नहीं ठहराया जा सकता।

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