सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से पूछा कि क्या गरीब कानून स्नातकों के लिए ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (AIBE) की फीस माफ करने की कोई योजना मौजूद है। अदालत ने इस पर भी चिंता जताई कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज़ (NLUs) अपनी LLB कोर्स के लिए “अत्यधिक फीस” वसूल रही हैं और कहा कि देश की विधि शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने की ज़रूरत है।
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदूरकर की पीठ, याचिकाकर्ता कुलदीप मिश्रा द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें BCI द्वारा AIBE परीक्षा के लिए ली जा रही फीस को चुनौती दी गई है।
AIBE परीक्षा के लिए सामान्य और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों से ₹3,500 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग से ₹2,500 फीस ली जाती है। यह फीस गैर-वापसी योग्य होती है और केवल ऑनलाइन माध्यम से जमा की जाती है।

पीठ ने BCI के वकील से कहा, “आप ऐसी व्यवस्था नहीं चला सकते जिसमें गरीब उम्मीदवारों के लिए कोई प्रावधान ही न हो।” अदालत ने यह भी कहा, “आपको ज़रूरतमंदों के लिए फीस माफी की व्यवस्था करनी चाहिए और यह प्रक्रिया जटिल नहीं होनी चाहिए।” अदालत ने BCI को इस मुद्दे पर दो सप्ताह में स्पष्ट जानकारी के साथ आने को कहा है।
NLUs द्वारा ली जा रही फीस का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, “NLUs की फीस अत्यधिक हो गई है।” जस्टिस नरसिम्हा ने टिप्पणी की, “लोग LLB कोर्स करने के लिए लोन ले रहे हैं और फीस बहुत ज्यादा है। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा।”
उल्लेखनीय है कि NLUs में पांच वर्षीय एकीकृत LLB पाठ्यक्रम की वार्षिक फीस ₹1.7 लाख से ₹4 लाख तक होती है। बेंगलुरु स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) और दिल्ली स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) जैसे प्रमुख संस्थानों की फीस अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में अधिक है।