बॉम्बे हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना में पैरालाइस हुए युवक को मुआवज़ा ₹40 लाख बढ़ाकर किया ₹1.52 करोड़

एक संवेदनशील और सख्त लहजे में दिए गए फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक 33 वर्षीय युवक को अतिरिक्त ₹40.35 लाख का मुआवज़ा देने का आदेश दिया है, जो एक सड़क दुर्घटना के बाद पैरालाइस हो गया था। अब यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को कुल ₹1.52 करोड़ का भुगतान करना होगा, जिससे पीड़ित को जीवनभर की चिकित्सा देखभाल और सहायता मिल सके।

यह मामला 4 जुलाई 2016 की एक गंभीर दुर्घटना से जुड़ा है, जब 25 वर्षीय अतुल दत्तराय वाधने अपनी मोटरसाइकिल से बोरिवली जा रहे थे। दहिसर के प्रमीला नगर जंक्शन पर एक स्कूल बस बिना सिग्नल दिए तेज मोड़ लेती हुई उनकी बाइक से टकरा गई, जिससे उन्हें गर्दन की हड्डी में फ्रैक्चर और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई। इसके चलते वह पूरी तरह से पैरालाइस हो गए और बिस्तर पर जीवनभर के लिए निर्भर हो गए।

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पुलिस ने बस चालक सेबास्टियन पंथीकुलंगारा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और चार्जशीट भी दाखिल की। इसके बाद वाधने ने अपने वकील के माध्यम से मोटर वाहन दावा न्यायाधिकरण (MACT) का रुख किया और चालक की लापरवाही के कारण हुई स्थायी विकलांगता के लिए मुआवज़ा मांगा। MACT ने ₹1.11 करोड़ का मुआवज़ा तय किया, जिसमें स्थायी अपंगता, सुविधाओं की कमी और भविष्य की चिकित्सा लागत को ध्यान में रखा गया।

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बाद में 2022 में इंश्योरेंस कंपनी और वाधने, दोनों ने MACT के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी — कंपनी ने राशि कम करने की मांग की, जबकि वाधने ने इसे बढ़ाने की।

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न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे ने इस मामले की सुनवाई करते हुए मेडिकल साक्ष्यों का गहन परीक्षण किया। भायंदर स्थित बालाजी अस्पताल के डॉक्टरों ने गवाही दी कि वाधने को 70% स्थायी आंशिक विकलांगता है और उन्हें जीवनभर न्यूरो-रिहैबिलिटेशन, फिजियोथेरेपी और दवाओं की आवश्यकता रहेगी।

इंश्योरेंस कंपनी ने दलील दी कि न्यायाधिकरण ने पहले ही भविष्य की सभी चिकित्सा लागतों को शामिल कर लिया है और भविष्य की चिकित्सा पर ब्याज देने का विरोध किया। लेकिन न्यायमूर्ति डिगे ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि मौजूदा महंगाई और पीड़ित की वेजिटेटिव हालत को देखते हुए ब्याज न देना अन्यायपूर्ण होगा।

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“वह एक 25 वर्षीय युवा था, जिसकी सभी उम्मीदें और सपने इस दुर्घटना ने छीन लिए। वह अब बिस्तर पर पड़ा हुआ है, एक ही दिशा में निहारता है, और अपने शरीर या जीवन पर कोई नियंत्रण नहीं है,” कोर्ट ने टिप्पणी की।

अंततः हाईकोर्ट ने वाधने के मुआवज़े को बढ़ाकर ₹1.52 करोड़ कर दिया और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को ₹40.35 लाख अतिरिक्त राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।

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