भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने शनिवार को कहा कि देश की न्यायिक व्यवस्था गंभीर समस्याओं से जूझ रही है और इसे “ठीक करने की सख्त जरूरत” है। हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि देशवासी इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं।
हैदराबाद स्थित नालसर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए CJI गवई ने मुकदमों में होने वाली भारी देरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “हमने ऐसे मामले देखे हैं जहां कोई व्यक्ति वर्षों तक विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रहा और अंततः उसे निर्दोष पाया गया।”
हालात की गंभीरता को स्वीकार करते हुए उन्होंने उम्मीद भी जताई, “हालांकि मैं मानता हूं कि हमारी न्याय व्यवस्था को गंभीर रूप से सुधारने की जरूरत है, लेकिन मैं सतर्क आशावादी हूं कि मेरे देशवासी इन चुनौतियों से निपटने के लिए आगे आएंगे।”

CJI गवई ने स्नातक हो रहे छात्रों को सलाह दी कि वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश जरूर जाएं, लेकिन छात्रवृत्ति के माध्यम से, ताकि परिवार पर वित्तीय बोझ न पड़े। उन्होंने कहा, “हमारी सर्वोत्तम प्रतिभा ही इन समस्याओं का समाधान निकाल सकती है।”
अपने संबोधन में उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे किसी व्यक्ति को सिर्फ उसके प्रभाव या पद की वजह से नहीं, बल्कि उसकी ईमानदारी के आधार पर अपना मार्गदर्शक चुनें।
इस अवसर पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पी.एस. नरसिंह और तेलंगाना हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुजॉय पॉल भी उपस्थित थे। जस्टिस पॉल ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की।