प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों में शिक्षकों का वेतन राज्य/केंद्र सरकार के मानकों से कम नहीं हो सकता: केरल हाईकोर्ट

प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों में शिक्षकों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और भारतीय नर्सिंग परिषद (INC) को निर्देश दिया है कि वे Indian Nursing Council (Revised Regulations and Curriculum for B.Sc. (Nursing) Program) Regulations, 2020 में वर्णित वेतन मानदंडों का पालन सुनिश्चित करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि निजी संस्थान इन मानदंडों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो उनके विरुद्ध मान्यता रद्द करने जैसे दंडात्मक कदम उठाए जाएं, जिससे यह संदेश दिया गया कि ये नियम सभी पक्षों पर बाध्यकारी हैं।

यह निर्णय रिट याचिका (सिविल) संख्या 35999/2024 (2025:KER:50876) में गुरुवार, 10 तारीख को न्यायमूर्ति डी.के. सिंह द्वारा हाईकोर्ट केरल, एर्नाकुलम में सुनाया गया। यह मामला नर्सिंग क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही वेतन संबंधी शिकायतों को संबोधित करने की दिशा में एक अहम कदम है।

मामले की पृष्ठभूमि और तथ्य

याचिकाकर्ता, जो केरल राज्य में निजी नर्सिंग कॉलेजों के शिक्षकों का एक संघ है, ने हाईकोर्ट का रुख यह कहते हुए किया कि INC रेगुलेशन्स 2020 के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद निजी कॉलेजों में शिक्षकों को बहुत ही अल्प वेतन दिया जा रहा है, जो कि नियम 5D के नोट iv का उल्लंघन है। इस प्रावधान में स्पष्ट कहा गया है कि निजी नर्सिंग कॉलेजों के शिक्षकों का वेतन राज्य/केंद्र सरकार के कॉलेजों में स्वीकृत वेतनमान या UGC स्केल से कम नहीं होना चाहिए।

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संघ ने यह भी बताया कि उन्होंने विभिन्न अधिकारियों को बार-बार ज्ञापन सौंपे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। याचिका में पेश प्रमुख दस्तावेजों में शामिल थे:

  • Exhibit P1: INC द्वारा 05.07.2021 को जारी संशोधित रेगुलेशन्स की अधिसूचना।
  • Exhibit P2: केरल सरकार का आदेश G.O.(P) No.34/2020/H&FWD दिनांक 11.09.2020।
  • Exhibit P3–P5: नर्सिंग काउंसिल, केरल हेल्थ साइंसेज यूनिवर्सिटी और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को दी गई विभिन्न प्रतिनिधि प्रार्थनाएँ।
  • Exhibit P6–P8: विभिन्न परिपत्र, जिनमें 13.3.2023 और 21.3.2024 के परिपत्र शामिल हैं, हालांकि कुछ में रिकॉर्ड में टाइप संबंधी त्रुटियाँ थीं।
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इन दस्तावेज़ों ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं ने बार-बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन निजी कॉलेजों में अनुपालन नहीं हुआ।

प्रस्तुत तर्क

याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क था कि INC रेगुलेशन्स 2020 सांविधिक और बाध्यकारी हैं। उन्होंने तर्क दिया कि शिक्षकों को कम वेतन देना नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और स्पष्ट वेतन समानता के नियम का उल्लंघन करता है। उनका कहना था कि राज्य सरकार और INC की यह जिम्मेदारी है कि वे इन मानदंडों का पालन सुनिश्चित करें।

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जवाबदाताओं की ओर से कोई ठोस प्रत्युत्तर या रेगुलेशन्स की वैधता पर आपत्ति अदालत के समक्ष नहीं आई, जिससे इन नियमों की बाध्यता की पुष्टि हुई।

कानूनी प्रश्न

क्या INC रेगुलेशन्स 2020 केरल के निजी नर्सिंग कॉलेजों पर बाध्यकारी हैं?
राज्य सरकार और INC की जिम्मेदारी क्या है?
यदि निजी संस्थान इन नियमों का पालन नहीं करते तो उनके विरुद्ध कौन-से उपाय किए जा सकते हैं?

अदालत के उत्तर

न्यायमूर्ति डी.के. सिंह ने विस्तार से सभी प्रश्नों का समाधान करते हुए स्पष्ट आदेश पारित किए:

नियमों की बाध्यता:
अदालत ने माना कि INC रेगुलेशन्स 2020 निर्विवाद और बाध्यकारी हैं। ये सभी निजी नर्सिंग कॉलेजों पर लागू होते हैं, और इनके खिलाफ कोई चुनौती नहीं दी गई है। अतः शिक्षकों का वेतन राज्य/केंद्र सरकार या UGC स्केल के बराबर होना चाहिए।

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 राज्य सरकार और INC की जिम्मेदारी:
राज्य सरकार को निजी कॉलेजों से वेतन विवरण मांगकर नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा। INC को, एक सांविधिक निकाय के रूप में, उल्लंघन की शिकायतों पर कार्रवाई करनी होगी।

 पालन न होने पर दंड:
अदालत ने निर्देशित किया कि:

  • राज्य सरकार सभी निजी नर्सिंग कॉलेजों से शिक्षकों के वेतन संबंधी विवरण माँगेगी और INC रेगुलेशन्स 2020 के अनुपालन की पुष्टि करेगी।
  • यदि कोई कॉलेज नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो राज्य सरकार INC को इसकी रिपोर्ट भेजेगी।
  • INC को उन कॉलेजों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करनी होगी, जिसमें मान्यता रद्द करना भी शामिल है।

इन निर्देशों के साथ रिट याचिका का निस्तारण कर दिया गया, जिससे अनुपालन और जवाबदेही के लिए स्पष्ट रूपरेखा तैयार हुई।

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