मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के उपाध्यक्ष और राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजोरा को ओंकारेश्वर बांध परियोजना से प्रभावित लोगों को समय पर मुआवजा न देने के आरोप में अवमानना नोटिस जारी किया।
यह आदेश न्यायमूर्ति डी.डी. बंसल ने नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। एनबीए लंबे समय से नर्मदा घाटी क्षेत्र में विस्थापित परिवारों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है।
एनबीए के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार ने 7 जून 2023 को एक विशेष पुनर्वास पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें भूमिहीन किसानों और उनके बच्चों को ₹2.5 लाख की मुआवजा राशि देने का प्रावधान किया गया था। हालांकि, याचिका में आरोप लगाया गया है कि 10 जुलाई 2023 को कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों और सरकारी घोषणा के बावजूद प्रभावित लोगों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है।

कोर्ट ने पहले एनबीए की मूल याचिका का निपटारा करते हुए डॉ. राजोरा को निर्देश दिया था कि वह इस मामले पर “यथाशीघ्र विचार करें।” वर्तमान अवमानना याचिका में अधिकारियों पर उस निर्देश को लागू न करने का आरोप लगाया गया है, जिसके चलते न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी।
अब कोर्ट ने डॉ. राजोरा से मुआवजा योजना के क्रियान्वयन में देरी को लेकर औपचारिक जवाब मांगा है। उनके उत्तर के बाद मामले की आगे की सुनवाई होगी।